कौशाम्बी,
साइबर क्राइम पर आयोजित हुई दो दिवसीय कार्यशाला,ऑन लाइन ठगी के शिकार होने के संबंध में दी गई ट्रेनिंग,
यूपी के कौशांबी जिले में एसपी कार्यालय के दुर्गा भाभी सभागार में साइबर क्राइम से बचने के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। पुलिस कर्मियों को साइबर क्राइम होने के बाद पीड़ितों की मदद कैसे की जाए। इसके बारे में साइबर एक्सपर्ट डॉ. रक्षित टण्डन ने बारीकी से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अपराध किस तरीके का है, यह पुलिस कर्मियों को जान लेना चाहिए। पुलिस अफसरों को बताया जा रहा है कि उनका पहला रिस्पांस क्या है, जिससे पीड़ित की मदद की जा सके। यदि ऑनलाइन फ्रॉड है तो उसका जल्द से जल्द पैसा वापस करा सके और इनकी विवेचना कैसे होती है। यानी हम अपराधी तक कैसे पहुंचे। उन्होंने बताया कि जितने भी डिजिटल एविडेंस हैं यह सिर्फ साइबर अपराध की ही चुनौती नहीं है। आज हर अपराध के पीछे डिजिटल एविडेंस कहीं ना कहीं इस्तेमाल हो रहा है। वह चाहे किडनैपिंग, मर्डर आदि की घटना हो। उनको भी ट्रेस करने में पुलिस को साइबर इन्वेस्टीगेशन की मदद लगती है।
वह कैसे किया जाता है और उस डिजिटल एविडेंस को कैसे पेश कोर्ट में पेश किया जाए कि वह खराब ना हो सके। दो दिवसीय प्रशिक्षण में साइबर अपराध के हर बिंदु को कवर किया जाएगा। चाहे वह सोशल मीडिया अपराध हो या फिर कोई ऑनलाइन फ्रॉड हो। उन्होंने बताया कि यदि किसी के साथ ऑनलाइन फ्रॉड होता है, खाते से पैसा कट जाता है तो फौरन 1930 टोल फ्री नंबर पर जानकारी दें।
उन्होंने बताया कि 1930 नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग नंबर है। इसको 200 से ढाई सौ बैंकों के साथ ऑनलाइन जोड़ा गया है। जैसे ही पीड़ित इसमें सूचना देता है। उस पैसे की गति को रोक दिया जाता है। यदि वह समय से इस नंबर पर सूचित कर दें या फिर हमारे साइबर सेल पर आ जाए तो हम उस हैकर की कमर तोड़ देते हैं। उस तक पैसा पहुचने नहीं देते और पूरी प्रक्रिया के बाद वह पैसा वापस हो जाता है।