कौशाम्बी,
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम, पूर्व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह हुए शामिल,
भारतीय जनता पार्टी जिला इकाई कौशाम्बी के नेतृत्व में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया ,स्मृति दिवस के अंतर्गत संगोष्ठी, मौन पदयात्रा, व प्रदर्शनी के माध्यम से विभाजन का दंश सहने वाले करोड़ों भारतीयों को सच्ची श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष धर्मराज मौर्य ने की कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन पार्टी के महामंत्री संजय जायसवाल ने किया।
कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे मुख्य अतिथि सिद्धार्थ नाथ सिंह ने विभाजन विभीषिका पर अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी,इसका दर्द आज भी देश को झेलना पड़ रहा है,ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने पाकिस्तान को 1947 में भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी,लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के चलते कई लाख लोगों की जान चली गई थी।
उन्होंने कहा कि इससे पहले ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भी लाखों भारतीयों ने कुर्बानियां दी थीं, 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया, विभाजन से पहले पाकिस्तान का कहीं नामो-निशान नहीं था, अंग्रेज जा तो रहे थे, लेकिन उनकी साजिश का फलाफल था कि भारत को बांटकर एक अन्य देश खड़ा किया गया।विभाजन की घटना को याद किया जाए तो 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लिए इतिहास का एक गहरा जख्म है,वह जख्म तो आज तक ताजा है और भरा नहीं है, यह वह तारीख है, जब देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक अलग देश बना, बंटवारे की शर्त पर ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी।
भारत-पाक विभाजन ने भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े कर दिए,दोनों तरफ पाकिस्तान (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान) और बीच में भारत,इस बंटवारे से बंगाल भी प्रभावित हुआ, पश्चिम बंगाल वाला हिस्सा भारत का रह गया और बाकी पूर्वी पाकिस्तान,पूर्वी पाकिस्तान को भारत ने 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया।
इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे, भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है, दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए,धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए।इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए, जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई, भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई, यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था, बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है, विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है।
कौशाम्बी के पूर्व सांसद विनोद सोनकर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि विभाजन का दर्द नहीं भुलाया जा सकता,उन्होंने कहा कि साल 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वालों की याद में हर साल 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस ‘के रूप में मनाया जाएगा। पीएम मोदी ने 2021 में एक ट्वीट में कहा था कि विभाजन के दर्द को कभी नहीं भुलाया जा सकता। हमारे लाखों बहन-भाई विस्थापित हुए और कई लोगों ने नफरत और हिंसा के कारण अपनी जान गंवाई। लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कल्पना सोनकर जिला पंचायत अध्यक्ष, अवधेश गुप्ता जिला प्रभारी,पूर्व विधायक,पूर्व जिलाध्यक्ष अनीता त्रिपाठी, रमेश पासी,पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पुष्पा देवी,नगर पालिका अध्यक्ष वीरेंद्र फौजी, कविता पासी, भोले शंकर कुशवाहा, भोला यादव सहित सैकड़ो भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता मौजूद रहे।