बाराबंकी,
शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले का बहुत बड़ा योगदान-भारती,
यूपी के बाराबंकी में डॉ भीमराव अंबेडकर पार्क, अम्बेडकर चौराहा(नाका सतरिख) में रमाई फाउंडेशन द्वारा माता सावित्री बाई फुले की जयन्ती हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
डॉ अम्बेडकर पार्क -स्मारक अनुरक्षण समिति के अध्यक्ष ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और पुष्पांजलि करते हुए कहा कि माता सावित्री बाई फुले का जीवन मुश्किलों से भरा हुआ था। वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग उनपर पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 191 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था तब सावित्री बाई फुले ने शिक्षा खासकर बालिकाओ के लिए स्कूल खोलकर शिक्षित करने का काम किया।
कोषाध्यक्ष जे एल भास्कर ने कहा कि सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाग लेने आई महिलाओं ने माता सावित्री बाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि के साथ ही उनके नाम का केक काटकर खुशियां मनाया और बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि कर शिक्षित बनने और संगठित रहने का संकल्प व्यक्त किया गया। इस मौके पर रमाई फाउंडेशन के संगठन का विस्तार भी किया गया।
रमाई फाउंडेशन की संयोजिका शिक्षिका बालजती ने अपने सम्बोधन में कहा कि माता सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में महात्मा ज्योतिराव फुले से हुआ था। फाउंडेशन की उपाध्यक्ष संगीता ने पुष्पांजलि कर कहा कि सावित्रीबाई फुले भारत के प्रथम शिक्षिका हैं, उन्होंने सबसे बालिका विद्यालय और पहले किसान स्कूल की स्थापना की।
कार्यक्रम संयोजक शिक्षक राम आसरे ने पुष्पांजलि कर कहा कि भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान माता सावित्री बाई फुले का है उनको महिलाओं और दलित जातियों का शिक्षित करने के प्रयासों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। फाउंडेशन की उपाध्यक्ष संगीता ने कहा कि सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया है, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं, उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था। भारतीय बौद्ध महासभा के जिलाध्यक्ष सुंदरलाल भारती ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले का बहुत बड़ा योगदान है।
इस अवसर पर डॉ सतीष गौतम, रमेश चौधरी, केशव गौतम, सूरज प्रकाश आदि तमाम गणमान्य लोगों सहित बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रही।