शीतलहर एवं ठण्ड से बचाव के लिए एडीएम ने जारी की एडवाइजरी,ऐसे करे ठंड से बचाव

कौशाम्बी,

शीतलहर एवं ठण्ड से बचाव के लिए एडीएम ने जारी की एडवाइजरी,ऐसे करे ठंड से बचाव,

यूपी के कौशाम्बी एडीएम अरूण कुमार गोंड ने जनपद में शीतलहर एवं ठण्ड से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की हैं।

एडीएम ने कौशाम्बी की आम जनता से अपील करते हुए कहा है कि सभी लोग

प्रतिदिन दैनिक मौसम की जानकारी अखबार, टी०वी०, रेडियों एवं मोबाइल फोन के माध्यम से लेते रहें,लम्बे समय तक ठण्ड के सम्पर्क में रहने से बचें, अपने शरीर को सूखा रखें एवं गर्म कपड़ों से ढककर रखें,अपने सर, गर्दन, हाँथ एवं पैर मुख्य रूप से ढकें, शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म पेय पदार्थों एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें,हीटर, ब्लोवर, कोयले की अगीठी आदि चलाते वक्त थोड़ी खिड़की खोलकर रखें और सोने से पहले सभी हीटर, ब्लोवर, कोयले की अगींठी इत्यादि को बन्द कर दें।

घर के अन्दर बन्द कमरों में कोयला न जलाये, इससे उत्पन्न होने वाली कार्बनमोनो ऑक्साइड जानलेवा साबित हो सकतीं हैं। शरीर के अंगो के सुन्न पढ़ने, हॉथ-पैरों, कान एवं नाक पर सफेद या पीले रंग के दाग इत्यादि पड़ने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें। शीतलहर के सम्भव बुजुर्ग नवजात शिशुओं तथा बच्चों का विशेष ध्यान रखें। अपने आस-पड़ोस में अकेले रहने वाले बुजुर्गों का भी ध्यान रखें।

शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है एवं हाइपोथर्मिया की सम्भावना बढ़ जाती है। शीतदंश से प्रभावित स्थान पर किसी प्रकार का मसाज या मालिश न करें एवं प्रभावित स्थान को सीधे आग के संपर्क में लाने से बचें। बल्कि शीतदंश प्रभावित अंग को गर्म सूती कपड़े से सिकाई कर गर्माहट दें।

शीतलहर/पाला के पूर्व की तैयारी के लिए पर्याप्त सर्दियों के कपड़े स्टॉक करें, कपड़ों की कई परतें अधिक सहायता होती है। ठण्ड के समय फ्लू, नाक बहना या शीतदंश जैसी विभिन्न बीमारियों की सम्भावना बढ़ जाती है, जो आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें। आमतौर पर ठण्ड के लम्बे समय तक सम्पर्क में रहने के कारण होती है। ऐसे लक्षणों के लिए तुरन्त डॉक्टर से परामर्श करें।

शीतलहर/पाला के दौरान मौसम की जानकारी का बारीकी से पालन करें और सलाह के अनुसार कार्यवाही करें। डण्डी हवा के सम्पर्क में आने से बचने के लिए घर के अन्दर रहें और यात्रा कम से कम करें। अपने शरीर को सूखा रखे एवं गर्ग कपड़ों से ढक कर रखें। अपने सर, गर्दन, हाथ एवं पैरों को मुख्य रूप से ढकें। पर्याप्त रोग प्रतिरोधक शक्ति और शरीर के तापमान के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए स्वस्थ भोजन, विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियों खाएं। शरीर को गर्म रखने हेतु गर्म पेय पदार्थों एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें। शीतदंश जैसी विभिन्न बीमारियों के लक्षण होने पर तुरन्त डॉक्टर से परामर्श करें।

हाइपोथर्मियां के लक्षण होने पर उक्त व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और कपडे बदलें। व्यक्ति के शरीर को कम्बल, कपडे, तौलिये या कम्बल की सूखी परतों से गर्म करें। शरीर का तापमान बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें। शराब कदापि न दें। हालत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर का परामर्श लें।

वही लम्बे समय तक ठण्ड के सम्पर्क में रहने से बचें। शीतदंश से प्रभावित स्थान पर किसी प्रकार का मसाज या मालिश न करें एवं प्रभावित स्थान को सीधे आग के संपर्क में लाने से बचें। बल्कि शीतदंश प्रभावित अंग को गर्म सूती कपड़े से सिकाई कर गर्माहट दें। शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है एवं हाइपोथर्मिया की सम्भावना बढ़ जाती है। प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई पेय पदार्थ ना दें जब तक यह पूरे होश/सामान्य स्थिति में न हो।

शीतलहर और पाला फसलों को बीमारी के कारण नुकसान पहुंचाता है, जिसमे ब्लैक रस्ट, व्हाइट रस्ट, लेट ब्लाइट आदि शामिल है। शीत लहर अंकुरण विकास फूल उपज और भण्डारण जीवन में कई तरह के शारीरिक व्यवधान कारण बनती है।

शीतलहर के दौरान जहां भी सम्भव हो हल्की और लगातार सतहीं सिचाई करें। हो सके तो स्प्रिंकलर सिंचाई का प्रयोग करें। बागवानी और बागों में इंटरक्रापिंग खेती का उपयोग करें। सब्जियों की मिश्रित फसल जैसे टमाटर, बैगन, सरसों/अरहर जैसी लगी फसल ठण्डी हवाओं (ठण्ड से बचाव) के लिए आवश्यक आश्रय प्रदान करेंगा। विकिरण अवशोषण में वृद्धि और सर्दियों के दौरान नर्सरी और युवा फलों के पौधों को प्लास्टिक, स्ट्रा या सरकंडा घास आदि के छप्पर बनाकर गर्म तापीय व्यवस्था प्रदान करना। ऑर्गिनिक मल्चिंग (हवा की गति कम करने के लिए)। विंड ब्रेक/शेल्टर बेल्ट लगाना (हवा की गति कम करने के लिए)।

शीतलहर के दौरान पशुओं को भरण-पोषण के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है, क्योकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैसों/मवेशियों के इष्टतम प्रजनन कॉल के दौरान तापमान में अत्यधिक भिन्नता पशुओं में प्रजन्न दर को प्रभावित कर सकतीं है।

ठण्डी हवाओं के सीधे सम्पर्क से बचने के लिए रात के समय जानवरों के आवास को चारों तरफ से ढक दें। पशुधन और कुक्कुट को ठण्डे मौसम से अन्दर रखकर सुरक्षित रखें और ढकें। पशुधन आहार अभ्यास और आहार योजकों में सुधार करना। उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चरागाहों का उपयोग। वसा की खुराक प्रदान करें-फीड सेवन, खिलाने ओर चबाने के व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करें। जलवायु स्मार्ट शेड का निमार्ण जो सर्दियों के दौरान अधिकतम धूप और गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देता है। सर्दियों के दौरान जानवरों के नीचे कुछ बिस्तर सामग्री जैसे सूखा पुआल लगाएं।

शीतलहर के दौरान पशुओं को खुले में बांधे/घुमायें। शीतलहर के दौरान पशु मेंले आयोजित न करें। पशुओं को ठण्डा चारा और ठण्डा पानी देने से बचें। पशु आश्रय में नमी और धुआं इकट्ठा न होने दें।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor