उत्तर प्रदेश,
अनुदानित योजनाओं में बैंकों से प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए: केशव प्रसाद मौर्य,
न्यूज ऑफ इंडिया (एजेंसी)
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 का क्रियान्वयन तेजी के साथ किये जाने के निर्देश सभी संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। कहा कि नयी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-में किसानों, व्यापारियों व उद्यमियों को प्रदत्त व प्राविधानित की गयी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने में पूरी तत्परता बरती जाए।श्री केशव प्रसाद मौर्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के बेहतर क्रियान्वयन के संबंध में आज विधान भवन के कक्ष संख्या-80 में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
डिप्टी सीएम ने फूड प्रोसेसिंग नीति के बेहतर क्रियान्वयन के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा निर्देश देते हुए कहा कि सभी संबंधित विभागों द्वारा समन्वय बनाकर बेहतर तरीके से इसे क्रियान्वित किया जाए जिससे किसानों व्यापारियों तथा उद्यमियों को नयी नीति का भरपूर लाभ मिल सके। उन्होंने कृषि, राजस्व, मंडी, वित्त व आवास विभाग के अधिकारियों को विशेष रूप से निर्देश दिए कि नीति के क्रियान्वयन में जो भी दिशा निर्देश दिए गए है, उनका अनुपालन अति शीघ्र सुनिश्चित किया जाए, जो भी औपचारिकताएं पूर्ण करनी हो, वह अतिशीघ्र पूरी की जांय। कहा कि स्टेट लेवल व जिला स्तर पर बैकर्स की बैठकें अति शीघ्र आयोजित करायी जांय। अनुदानित योजनाओं में उद्यमियों, किसानों व व्यापारियों को बैंकों से प्रोत्साहन हर हाल में मिलना ही चाहिए।
उन्होंने बताया कि राज्य में नई खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना से सम्बन्ध संयंत्र, मशीनीकरण एवं तकनीकी सिविल कार्यों पर किये गये व्यय का 35 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी अधिकतम 05 करोड़ तक प्रदान की जायेगी। खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के विस्तार, आधुनिकीकरण/उन्नयन के लिए यह धनराशि 01 करोड़ तक प्रदान की जायेगी। रीफर वाहनों और मोबाइल प्री-कूलिंग वैन की खरीद के लिए बैंक से लिये गये ऋण पर अर्जित ब्याज के लिए व्याज उपादान प्रतिपूर्ति अधिकतम रू0 – 50.00 लाख 05 वर्षों की अवधि के लिए प्रदान की जायेगी। खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के लिए मंडी शुल्क एवं उपकर के लिए पूर्ण रूप से छूट होगी। स्टाट-अप को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कृषि मूल्य श्रृंखला विकास, आच्छादन/उत्पादन/उत्पादकता के आंकलन और साक्ष्य आधारित निर्णय के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग हेतु प्रत्येक परियोजना रू0-05 करोड़ से अधिकतम सीमा तक स्वीकृत की जायेगी। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए क्रय की गयी भूमि को शत प्रतिशत स्टाम्प शुल्क में छूट प्रदान की जायेगी। प्रसंस्करण इकाईयों को सीधे भेजे जाने वाले कृषि उत्पाद के लिए मंडी शुल्क और उपकर में छूट प्रदान की जायेगी।
बाहरी विकास शुल्क में आवास विकास विभाग की सहमति के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए 75 प्रतिशत की छूट प्रदान की जायेगी। भूमि उपयोग का रूपान्तरण आवास विकास के अभिमत के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को 50 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। परियोजना स्थल में आने वाले सरकारी भूमि की विनिमय के लिए सर्किल रेट के 25 प्रतिशत धनराशि देने की आवश्यकता खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी को नहीं होगी। गैर-कृषि उपयोग घोषण के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों हेतु सर्किल रेट पर मूल्य का 2 प्रतिशत शुल्क माफ किया जायेगा। 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने हेतु राजस्व विभाग की वर्तमान प्रक्रिया में खरीदे जाने वाले प्लाट नम्बरों का उल्लेख करने के लिए कहा जाता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए इस प्रक्रिया में ग्राम के नाम का उल्लेख पर्याप्त होगा, प्लाट का नम्बर उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं होगी।
बैठक में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति- के बेहतर क्रियान्वयन हेतु महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव कृषि, देवेश चतुर्वेदी, सचिव वित्त एस एम एस रिजवी, सचिव आई आई डी अभिषेक प्रकाश, सचिव आवास रणवीर प्रसाद, विशेष सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण योगेश कुमार, विशेष सचिव अनुराग पटेल, मण्डी परिषद के निदेशक अंजनी कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।