उत्तर प्रदेश,
पेराई सत्र 2023-24 के लिए गन्ना क्षेत्रफल के आंकलन हेतु गन्ना सर्वेक्षण नीति जारी,
न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)
यूपी के गन्ना आयुक्त एवं चीनी संजय आर. भूसरेड्डी ने पेराई सत्र 2023-24 वास्ते गन्ना सर्वेक्षण नीति जारी कर दी है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पेराई सत्र में गन्ने के सम्भावित उत्पादन को ध्यान में रखकर चीनी मिलों के गन्ना क्षेत्र का निर्धारण तथा किसानों द्वारा चीनी मिलों को की जाने वाली गन्ने की आपूर्ति की योजना तैयार की जाती है। गन्ना उत्पादन के सही आंकलन के लिये बोये गये गन्ने के क्षेत्र का सही सर्वेक्षण एक अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं आधारभूत कार्य है, जिसे पूरी शुद्धता, तत्परता एवं निष्ठा से किये जाने की आवश्यकता है।
भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना सर्वेक्षण का कार्य 15 अप्रैल, 2023 से आरम्भ होकर 15 जून, 2023 तक पूर्ण किया जाएगा। सर्वे कार्य मीट्रिक प्रणाली पर आधारित होगा। सर्वे कार्य में शुद्धता, पारदर्शिता और गन्ना किसानों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण के दृष्टिगत तथा डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए गन्ना सूचना प्रणाली एवं स्मार्ट गन्ना किसान प्रोजेक्ट के माध्यम से जी.पी.एस. सर्वे कार्य कराया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष गन्ना किसानों को उनके बोये गये क्षेत्रफल के संबंध में वेबसाइट पर घोषणा-पत्र ऑनलाइन अपलोड करने की सुविधा प्रदान की गयी है। घोषणा-पत्र में उल्लिखित सूचनाओं का शत्-प्रतिशत सत्यापन सर्वेक्षण के समय किया जाएगा, जो किसान ऑनलाईन घोषणा-पत्र उपलब्ध नहीं करायेंगे ऐसे कृषकों का सट्टा पेराई सत्र 2023-24 में विभाग द्वारा कभी भी बन्द किया जा सकता है। संबंधित किसान को अपना घोषणा-पत्र स्वयं ऑनलाईन भरना होगा।
गन्ना सर्वेक्षण के प्रयोजन हेतु प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में स्टाफ की उपलब्धता के अनुरूप 500 से 1000 हेक्टेयर तक की अस्थायी सर्किलें बनायी जायेगी और गन्ना सर्वेक्षण टीम में एक कर्मचारी राजकीय गन्ना पर्यवेक्षक तथा एक कर्मचारी चीनी मिल का होगा। आयुक्त ने बताया कि गन्ना सर्वेक्षण टीम में उन्ही कर्मचारियों को रखा जायेगा जो सर्वेक्षण की मूल भूत जानकरी रखते हों। इतना ही नहीं, सर्वेक्षण टीम का एक अनिवार्य प्रशिक्षण भी कराया जायेगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि सर्वेक्षणकर्ता द्वारा गत पेराई सत्र में जिस सर्किल का सर्वेक्षण कार्य किया गया था, वह वर्तमान पेराई सत्र में उस सर्किल का सर्वेक्षण कार्य नहीं करेगा।
उल्लेखनीय है कि गन्ना क्षेत्र का सर्वेक्षण जी.पी.एस. द्वारा कराये जाने के फलस्वरूप सर्वेक्षण में पारदर्शिता और शुद्धता रहती है, साथ ही जी.पी.एस. से सर्वे किये जाने पर समय की बचत की साथ व्यय भी कम होगा एवं बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी। इसलिए गन्ने के सर्वेक्षण में शत-प्रतिशत जी.पी.एस. का प्रयोग किया जायेगा। सर्वेंक्षण में लगने वाले समय को बचाने के दृष्टिगत इस बार मात्र पौधे गन्ने का गन्ना सर्वेक्षण जी.पी.एस. द्वारा किया जायेगा तथा पौधे गन्ने के खेत की चारों भुजाओं की माप की जायेगी। इसी क्रम में गत वर्ष का पौधा गन्ना जो पेड़ी गन्ने के रूप में परिणित होगा, का हैण्डहेल्ड कम्प्यूटर (जी.पी.एस. युक्त) द्वारा मौके पर ही सत्यापन किया जायेगा।
गन्ना सर्वेक्षण के समय गन्ने की किस्म, फसल की दशा, पौधशाला, मानसून गन्ना बुवाई/शरदकालीन गन्ना बुवाई/ग्रीष्मकालीन गन्ना बुवाई वाले खेतों एवं ड्रिप इरीगेशन, सहफसली खेती आदि का विवरण तथा आदर्श मॉडल प्लाट के अन्तर्गत प्रत्येक गन्ना विकास परिषद में चयनित उत्तम कृषकों का विवरण भी दर्ज किया जायेगा। गन्ना सर्वेक्षण कार्य की प्रगति और गुणवत्ता का अनुश्रवण समय-समय पर संबंधित गन्ना समिति के अध्यक्ष, जिला गन्ना अधिकारी और क्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त व मुख्यालय से गठित जांच दल द्वारा किया जायेगा इसके अतिरिक्त मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा भी सर्वे कार्य का औचक निरीक्षण किया जायेगा।
सर्वेक्षण के दौरान ग्राम स्तरीय गोष्ठियों में नये सदस्यों का भी पंजीकरण कराया जायेगा। पेराइ सत्र 2023-24 के लिये 30 सितम्बर, 2023 तक बनाये गये सदस्यों को ही गन्ना आपूर्ति की सुविधा मिलेगी। गन्ना सर्वेक्षण के दौरान गन्ना समिति के नये/वारिस सदस्यता हेतु भी किसानों से आवेदन लिये जायेगें। उपज बढ़ोत्तरी हेतु भी कृषकों द्वारा आवेदन पत्र गन्ना सर्वेक्षण कार्य प्रारम्भ करने से लेकर 30 सितम्बर, 2023 तक निर्धारित शुल्क के साथ दिये जा सकेंगे। पंचामृत से आच्छादित उत्तम कृषकों से उपज बढ़ोत्तरी हेतु आवेदन प्रस्तुत करते समय शुल्क नहीं लिया जायेगा। सर्वे कार्य के दौरान प्रशिक्षण एवं अन्य कार्यक्रमों में कोविड-19 के दृष्टिगत सोशल डिस्टेन्सिंग एवं सेनेटाइजेशन आदि के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जायेगा।