यह संसार की रीति है, इक आवत इक जात.बटुक जी महाराज

कौशाम्बी,

यह संसार की रीति है, इक आवत इक जात.बटुक जी महाराज,

यूपी के कौशाम्बी जिले में सिराथू ब्लॉक के कैमा धमावा में चल रही नव दिवसीय श्रीरामकथा के तीसरे दिन की कथा मे कथावाचक बटुक जी महाराज ने भीलनी सबरी की कथा सुनाई। बटुक जी ने कथा में बताया कि सबरी भीलनी थी। सबरी के कई गुरु थे। सबसे पहले भीलनी सबरी ने पेड़ों एवं लताओं को अपना गुरु बनाया था। कहा कि जिस प्रकार पेड़ में पत्ते लगते हैं और फिर झर जाते हैं, उसी प्रकार लोगों का जीवन है। जिनका जन्म होता है, उनकी मृत्यु अवश्य होती है। कहा कि… यह संसार की रीति है, इक आवत इक जात…

भीलनी सबरी को महर्षि मतंग ने अपना शिष्या बनाया था। महर्षि मतंग ने सबरी को बताया था कि भगवान श्रीराम जी की तुम तपस्या करो। भगवान श्रीराम तुमसे मिलेंगे। महर्षि मतंग ने कहा था, उनकी राह तकना क्योंकि तुमसे मिलने वे स्वयं भगवान नारायण श्रीराम आयेंगे।

कथा के श्रवण के लिए आसपास के दर्जनों गांवों के सैकड़ों लोग अघोरी आश्रम में रोज पहुंचते हैं। और भक्तिभाव से रोजाना श्रीरामकथा का श्रवण करते हैं। कार्यक्रम आयोजक और अघोरी बाबा आश्रम के महंत त्यागी जी महाराज ने कहा कि भगवान कि कथा बहुत ही एकाग्र होकर सुननी चाहिए। भगवान की कथा के श्रवण करने से भगवत प्राप्ति होती है। कथा के तीसरे दिन उमेश तिवारी, भगवानदीन वर्मा, अजय सोनी, राजेंद्र यादव, शिव कुमार साहू, कुबेर सिंह पटेल, राधेश्याम साहू आदि मौजूद रहे।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor