श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र व शुकदेव विदाई के साथ परीक्षित मोक्ष कथा का हुआ संगीतमय वर्णन

कौशाम्बी,

श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र व शुकदेव विदाई के साथ परीक्षित मोक्ष कथा का हुआ संगीतमय वर्णन,

नगर पंचायत सिराथू के कैथनबाग में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को कथा व्यास से सुदामा चरित्र व शुकदेव विदाई के साथ परीक्षित मोक्ष कथा का संगीतमय वर्णन किया। सुदामा चरित्र की कथा सुन श्र्रोता भाव विभोर हो गए। जय श्री कृष्ण के जयकारे से पूजा पंडाल गुंजायमान हो उठा।

कथा व्यास आचार्य डॉ अखिलेश महराज ने कहा कि मित्रता करो तो भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वहीं है तो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए मदद कर दे लेकिन आज-कल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता तब तक मित्रता रहती है। इसके साथ की कथा व्यास ने शुकदेव विदाई के साथ भगवान श्री कृष्ण के 16 हजार एक सौ आठ विवाहों का वर्णन किया।

कहा कि सात दिनों तक श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। कहा कि एक बार राजा परीक्षित वन में आखेट करते हुए काफी दूर तक निकल गए। प्यास लगने पर वह समीक ऋर्षि के आश्रम पहुंचे और पानी मांगा पर ऋषि समाधि में लीन थे। इस पर उनहें गुस्सा आ गया और वह मरा हुआ सर्प ऋषि के कंधे में डाल दिया। जानकारी ऋषि समीक के पुत्र को हुई तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दे दिया कि आज से सात दिन के भीतर तक्षक के काटने से ऐसा करने वाले की मौत हो जाएगी। इसके बाद शुकदेव ने गंगा तट पर राजा परीक्षित को श्री मद् भागवत कथा का रसपान कराया तो उन्हें मोक्ष को प्राप्त हूआ।

श्र्रोताओं को श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराने के बाद मधुर भजन की प्रस्तुति की। व्यास पीठ पूजन के साथ कथा पूर्ण की गई। मधुर भजन पर श्र्रोता आंनदित रहे। कथा आयोजक अनिरूद्ध पांडेय ने बताया कि सोमवार को कथा की पूर्णाहुति होगी और मंगलवार को प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor