विज्ञान कांग्रेस की मार्गदर्शक शिक्षक कार्यशाला सम्पन्न,प्रोजेक्ट की तकनीक पर विशेषज्ञों ने की चर्चा

कौशाम्बी,

विज्ञान कांग्रेस की मार्गदर्शक शिक्षक कार्यशाला सम्पन्न,प्रोजेक्ट की तकनीक पर विशेषज्ञों ने की चर्चा,

राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली 31 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस कार्यक्रम में अधिकतम विद्यार्थियों की सहभागिता एवं इस वर्ष के मुख्य विषय- स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पारितंत्र को समझना के संबंध में विज्ञान एवं गणित मार्गदर्शक शिक्षकों की कार्यशाला का आयोजन श्री दुर्गा देवी इंटर कॉलेज ओसा कौशांबी में किया गया ।

उक्त कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में भवंस मेहता महाविद्यालय भरवारी के प्राचार्य डॉक्टर प्रबोध कुमार श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा की राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में बच्चों को एक ऐसा मंच प्राप्त होता है जिसके माध्यम से वह अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा को उजागर करते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी गतिविधि है जिसके माध्यम से बच्चों में वैज्ञानिक चेतना उत्पन्न होती है, और उनके अंदर वैज्ञानिक चिंतन एवम् शोध की क्षमता जागृत होती है।

उन्होंने अच्छे प्रोजेक्ट बनाने की तकनीक पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि विज्ञान कांग्रेस में प्रोजेक्ट मुख्य विषय से संबंधित एवं स्थानीय समस्याओं पर आधारित सर्वेक्षण अथवा प्रयोगों द्वारा संपन्न किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट का कार्य क्षेत्र छोटा व स्थानीय होना चाहिए।उन्होंने बताया कि एक अच्छे प्रोजेक्ट में स्थानीय समस्या, संभावित कारण, परिकल्पना, प्रयोग अथवा सर्वेक्षण, आंकड़ों का संग्रह एवं विश्लेषण तथा अंत मे समस्या के वैज्ञानिक निदान होना आवश्यक है।

इसी क्रम में विशेषज्ञ डॉ संतोष कुमार सिंह ने प्रोजेक्ट बनाने में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा की और बताया कि प्रोजेक्ट का सारांश ऐसा होना चाहिए जिससे प्रोजेक्ट की सभी बातें उसमें सम्महित हो। उन्होंने बताया कि विज्ञान कांग्रेस कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है। मार्गदर्शक शिक्षक प्रताप सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट पूर्ण करने में आंकड़ों का संग्रह एवं उसका विश्लेषण परिणाम तक पहुंचने में बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने आंकड़ों को ग्राफ में निरूपित करने का तरीका बताया। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट प्रस्तुतीकरण में बाल वैज्ञानिकों को प्रोजेक्ट के साथ निर्धारित मापदंड के अनुसार चार चार्ट भी बनाने आवश्यक है। जिसमे प्रोजेक्ट की मुख्य बातों को प्रस्तुत करते हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर रविंद्र कुमार सिंह ने भी अपने विचार प्रस्तुत किया।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि जिला विद्यालय निरीक्षक कौशांबी डॉक्टर सच्चिदानंद यादव ने अपने संबोधन में कहा कि विज्ञान कांग्रेस के द्वारा बच्चों में आत्मविश्वास विकसित होता है, उनमें चुनौती को स्वीकार करने और अपने विचारों की सत्यता को परखने के साथ अपनी समस्याओं का वैज्ञानिक तरीके से समाधान करने के लिए एक मंच प्राप्त होता है।

समन्वयक ज़िला विज्ञान क्लब वसीम अहमद ने बताया कि बाल विज्ञान कांग्रेस मे 10 से 17 वर्ष आयु वर्ग के विधार्थियों द्वारा दो – दो के समूह में मुख्य विषय से संबंधित स्थानीय समस्याओं पर आधारित प्रोजेक्ट बनाए जाते हैं। इसके पश्चात बच्चे जिला स्तर, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करते हैं। उन्होंने इंस्पायर अवार्ड योजना की प्रगति बताते हुए उपस्थित शिक्षकों से अधिक से अधिक संख्या में विद्यार्थियों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर जोर दिया।जिला समन्वयक ने आए हुए समस्त अतिथियों एवं शिक्षकों को धन्यवाद ज्ञापित कर आभार प्रकट किया।कार्यक्रम का संचालन विज्ञान संचारक आयुष साहू ने किया।

इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज देवखरपुर के प्रधानाचार्य कमाल अहमद सिद्दीकी, कृष्ण कुमार मिश्रा, दीपेंद्र सिंह, तेजभान मौर्य, मनोज कुमार पासवान देवीलाल, अनुपम द्विवेदी, दिलीप कुमार यादव, राम आसरे, प्रिया शुक्ला, श्रद्धा मिश्रा, आकांक्षा केसरवानी, संध्या सिंह, तुफैल अहमद, बालेंद्र चौधरी आदि शिक्षक उपस्थित रहे।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor