कौशाम्बी,
नंदी वाणी पब्लिक स्कूल के बच्चों ने शिक्षक दिवस पर अपने गुरुओं को किया सम्मानित,
महापुरुषों का जीवन स्वयं के लिए नहीं अपितु समाज और देश के लिए होता है। भारत मे ऐसे अनेकों महापुरुष हुये हैं जिन्होने भारतीयों के जीवन के उत्थान के लिए अपना जीवन खपा दिया। उनके योगदान को याद करने के लिए उनके जन्मदिवस को एक पर्व के रूप मे मनाने की परम्परा आदिकाल से चली आ रही है।
ऐसे ही एक महापुरुष सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे,जो प्रकांड विद्वान होने के साथ-साथ महान शिक्षाविद भी थे। वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी बने और भारत सरकार ने उनकी विद्वता को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप मे घोषित किया और प्रतिवर्ष यह दिन गुरुओं को समर्पित होता है। जीवन देने का काम माता-पिता करते हैं तो व्यक्तित्व ढालने का काम गुरु करते हैं। कोई भी व्यक्ति महान तभी बनता है जब कोई योग्य शिक्षक उसे उचित मार्गदर्शन देता है। गुरु की महत्ता का वर्णन संत कबीर ने इन शब्दों में किया है –
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूँ पाय बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय
शास्त्रों मे भी गुरुर्ब्रम्हा गुरूर्विष्णु गुरु ही देवो महेश्वर: गुरु ही साक्षात परम्ब्रंह तस्मै श्री गुरुवे नम: कहकर गुरु को ईश्वर की संज्ञा दी गई है।
शिक्षक दिवस के अवसर पर भरवारी स्थित नंदी वाणी पब्लिक स्कूल मे बच्चों ने शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने अध्यापक-अध्यापिकाओं को सम्मानित किया। अपने जीवन मे उनकी दिखाई राह को उनसे साझा करते हुये अनेक कार्यक्रम भी किए। शैक्षिक दिवस मे प्रतिदिन गुरु बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अपने घर से निकलते हैं और पूरा दिन बच्चों के नाम कर देते हैं पर बच्चों ने आज का दिन अपने गुरुओं के नाम कर दिया।
उनकी दिखाई राह पर चलते हुये कौन किस प्रकार देश और समाज के सेवा करने का मन बना चुका है इस संकल्प से परिचित कराया। कार्यक्रम के बाद शिक्षकों ने भी अपने जीवन की हर परीक्षा मे कैसे पास होना है इसका गुरुमंत्र दिया। शिकाशक दिवस के कार्यक्रम के अंत मे बच्चों ने अपने अपने पसंदीदा शिक्षक की पसंदीदा व्यंजन का भी आनंद भी प्रदान किया।