नंदी वाणी पब्लिक स्कूल भरवारी के बच्चों ने मनाया नंदलाला का जन्मोत्सव

कौशाम्बी,

नंदी वाणी पब्लिक स्कूल भरवारी के बच्चों ने मनाया नंदलाला का जन्मोत्सव,

यूपी के कौशाम्बी जिले के स्थित नंदी वाणी पब्लिक स्कूल भरवारी के बच्चों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर माखनचोर का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया। स्कूली बच्चों ने श्रीकृष्ण की लीलाओं से सम्बंधित लीलाओं का नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया एवं राधारानी और गोपाल के बीच आध्यात्मिक प्रेम से सराबोर कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

स्कूल प्रबन्धन के आमंत्रण पर बच्चों के अभिभावक भी इस कार्यक्रम मे सम्मिलित हुये और उन्होने भी श्रीक़ृष्ण जन्माष्टमी पर बच्चों व शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ भगवान का पूजन-अर्चन किया। कार्यक्रम का संचालन सुकृति सोनी और अनुराधा ने किया। प्रबंधिका ज्योति ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन व्यक्ति के प्रत्येक क्षण के लिए मार्गदर्शन है। उन्होने अत्याचार को समाप्त करने के लिए पाण्डव के पक्ष होकर महाभारत मे न्याय की जीत कराई। निर्बलों के सहायक बने, सुदामा के साथ आदर्श मित्रता की एक नई मिशाल स्थापित की। हमें श्रीकृष्ण को सदैव स्मरण रखना चाहिए।

धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग मे भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कारागार मे आधीरात को हुआ था। समाज मे व्याप्त बुराइयों और अत्याचार को समाप्त करने के लिए श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। उनके जन्म के साथ ही चमत्कारिक घटनाएँ प्रारंभ हो गई थी। जिनके चलते मथुरा के अत्याचारी अधिपति कंस के कारागार मे बंद उनके पिता वसुदेव ने उन्हे उफनती यमुना नदी पार कर गोकुल मे नन्द के घर पहुँचा दिया था।

गोकुल मे यशोदा माँ के वात्सल्य की छाँव तले पले और किशोरवय होकर कृष्ण और उनके भाई बलदाऊ ने गोकुल से मथुरा जाकर अपने मामा अत्याचारी कंस को मारकर अपनी माता देवकी और पिता वसुदेव को कारागार से मुक्त कराया। भगवान श्रीकृष्ण ने मानव को अत्याचार को चुपचाप सहने के स्थान पर उसके समक्ष खड़े होकर साहस से सामना करने की सीख दी। लेकिन उन्होंने जीवन मे प्रेम के महत्व को विशेष बल दिया और इसी कारण आज भी लोग उनका जन्मदिन प्रेम और आनन्द के साथ मानते चले आ रहे हैं। पूरे दिन व्रत रखकर भगवान का ध्यान-भजन करते हुये आधीरात बीत जाने के बाद पूजन-अर्चन-वंदन करके ही प्रसाद ग्रहण करके भगवान के प्रति अपना प्रेम समर्पित करते हैं। श्रीकृष्ण की अनेकों नटखट लौकिक और पारलौकिक लीलाएँ देखकर लोग उनके प्रति मंत्रमुग्ध हुये और उनपर भगवान की आस्था स्थापित की।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor