कोरियन पाप संगीत समारोह का 12,13,15,16 एवं 27 सितम्बर को होगा आयोजन:जयवीर सिंह

उत्तर प्रदेश,

कोरियन पाप संगीत समारोह का 12,13,15,16 एवं 27 सितम्बर को होगा आयोजन:जयवीर सिंह,

न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग भारत और दक्षिण कोरिया के राजनयिक संबंध की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। 12 सितम्बर से 27 सितम्बर तक प्रदेश के विभिन्न शहरों में दक्षिण कोरियन के पॉप संगीत समारोह का आयोजन किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि पहला आयोजन ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय में होगा। यहां 12 सितंबर को दक्षिण कोरियन के पॉप कलाकार अउरा और फ्राइडे शारदा यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा में अपनी शानदार प्रस्तुति देंगे। इसका मकसद दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना है। इससे लोग एक-दूसरे की संस्कृति से भी परिचित होंगे।

उन्होंने बताया कि ’13 सितंबर को गुंजन रिसोर्ट सिरसागंज, फिरोजाबाद व मैनपुरी में अतिरिक्त से आयोजित होगा ,जिसका आयोजन आयोजक टीम द्वारा स्वयं किया जाएगा।’ उन्होंने बताया कि15 सितम्बर, 2023-एसआरएमयू, लखनऊ, 16 सितंबर, 2023-एलनहाउस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, कानपुर और 27 सितम्बर, 2023-संस्कृति विश्वविद्यालय, मथुरा रोड आगरा में कार्यक्रम आयोजित होंगे।

पर्यटन मंत्री ने कहा कि कला कोई भी हो, उसकी लोकप्रियता दूरी को खत्म करती है। दक्षिण कोरियन पॉप संगीत के प्रशंसकों की भारत में कमी नहीं है। यहां बड़ी संख्या में, खासकर युवा संगीत की इस विधा को देखते, सुनते और समझते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से इसी लोकप्रियता को देखते हुए 50वीं वर्षगांठ पर संगीत समारोह का आयोजन किया जा रहा है। ताकि लोग बिल्कुल नजदीक से उन कलाकारों की कला का लुत्फ उठा सकें जो इंटरनेट या दूसरे अन्य माध्यमों की मदद लेते हैं।

इस आयोजन के जरिये श्रोता-दर्शक दोनों देशों के राजनयिक संबंध के महत्व को भी जान सकेंगे।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1973 से चले आ रहे हैं। इसकी वजह से दोनों देश एक दूसरे की हरसंभव मदद के लिए तैयार रहते हैं। फरवरी-मार्च में दक्षिण कोरिया के 108 बौद्ध तीर्थयात्रियों ने भारत-नेपाल में 43 दिनों की अवधि में करीब 1,100 किमी से अधिक पैदल यात्रा की थी।

उन्होंने बताया कि पर्यटक 9 फरवरी 2023 से 23 मार्च 2023 तक भारत और नेपाल में बौद्ध पवित्र स्थलों की यात्रा की थी। पैदल तीर्थयात्रा वाराणसी में सारनाथ से शुरू होकर, नेपाल से होते हुए श्रावस्ती में पूरी हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग बढ़ाना था। साथ ही पर्यटकों को भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रत्यक्ष अनुभव करने और उनके जीवनकाल के दौरान उनके पदचिन्हों का पता लगाने में मदद करना था।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor