नवरात्रि आज से हो रही है प्रारंभ,ज्योतिषाचार्य डॉ राम सियासन शास्त्री से जाने कैसे होगा कलश स्थापना और पूजन

कौशाम्बी,

नवरात्रि आज से हो रही है प्रारंभ,ज्योतिषाचार्य डॉ राम सियासन शास्त्री से जाने कैसे होगा कलश स्थापना और पूजन,

नवरात्रि आज यानी 15 अक्टूबर रविवार से प्रारंभ हो रही है,आज से 9 दिनों तक माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जायेगी,माता के भक्त आपने अपने सामर्थ्य और सुविधा के अनुसार माता रानी की मूर्तियों की स्थापना,कलश स्थापना और पूजन करते है,माता रानी के कलश स्थापना और उनकी पूजा विधि विधान से करने के लिए ज्योतिषाचार्य डॉ राम सियासन शास्त्री ने क्या क्या विधि बताई है आइए जानते हैं….

ज्योतिषाचार्य डॉ सियासन शास्त्री के अनुसार…..

सर्वप्रथम पहले गणेशजी को प्रणाम करें,फिर जिस जगह कलश स्थापना करना है, उस भूमि को प्रणाम करें और वहां चौकी रखें,चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी 7 प्रकार के धान रखें और धान को प्रणाम करें, इसके बाद उन पर कलश रख दे,कलश में शुद्ध पानी और गंगाजल भरें, फिर उसमें चंदन, रोली, हल्दी की गांठ, फूल, दूर्वा, अक्षत, सुपारी और सिक्का डालें। इसके बाद पांच तरह के पत्ते रखकर कलश को ढंक दें।कलश स्थापना करते वक्त ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै मंत्र बोलें।

कलश स्थापना मंत्र

कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः । मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः । ।

मंत्र का अर्थ: कलश के मुख में विष्णुजी, कण्ठ में रुद्र, मूल में ब्रह्मा और कलश के मध्य में सभी मातृ शक्तियां निवास करती हैं।

 

कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है।

1. नवरात्रि में स्थापित कलश नकारात्मक ऊर्जा खत्म कर देता है। इससे घर में शांति रहती है।

2. कलश को सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है।

3. घर में रखा कलश माहौल भक्तिमय बनाता है। इससे

पूजा में एकाग्रता बढ़ती है।

4. घर में बीमारियां हों तो नारियल का कलश उसको दूर करने में मदद करता है।

5. को भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है, इससे कामकाज में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं।

अब कलश पर माता की मूर्ति रखें, मूर्ति न हो तो कलश पर स्वास्तिक बनाकर देवी के चित्र की पूजा करें और नौ दिन तक व्रत-पूजा करने का संकल्प लें।पहले भगवान गणेश फिर वरुण देवता के साथ ही नवग्रह, मातृका, लोकपाल और फिर देवी पूजा शुरू करें,देवी पूजा महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में करनी चाहिए। फिर हर दिन श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए।

देवी पूजा के लिए निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए माता रानी का ध्यान लगाते हुए उनकी पूजा करिए…

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते ।।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। -08-1-800m

ॐ दुं दुर्गायै नमः

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

ज्योतिषाचार्य डॉ सियासन शास्त्री बताते है कि…

नवरात्रि में वैसे तो नौ दिनों तक बिना अन्न खाए सिर्फ फल खाकर उपवास करने का विधान है, लेकिन इतने कठिन नियम पालन नहीं हो सकते तो दूध और फलों का रस पीकर भी व्रत किया जा सकता है। इतना भी न किया जा सके तो एक वक्त खाना खाकर व्रत कर सकते हैं या पूरे नौ दिनों तक बिना नमक का भोजन करने का भी नियम ले सकते हैं।

नवरात्रि में व्रत-उपवास के दौरान लहसुन, प्याज, तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला और किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। इन दिनों गुस्सा करने और झूठ बोलने से भी बचना चाहिए। इन नियमों को ध्यान में रखकर व्रत किया जाना चाहिए। बीमार बच्चे और बूढ़े लोगों को व्रत नहीं करना चाहिए। साथ ही जिन लोगों को देर रात तक जागना पड़ता है या डिस्टर्ब रूटीन वालों को भी व्रत करने से बचना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य डॉ सियासन शास्त्री बताते है कि..

1. नवरात्रि में नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। घी का दीपक देवी के दाहिनी ओर, तेल वाला देवी के बाईं ओर रखना चाहिए।

2. अखंड ज्योत नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। जब ज्योत में घी डालना हो या बत्ती ठीक करनी हो तो अखंड दीपक की लौ से एक छोटा दीपक जलाकर अलग रख लें।

3. दीपक ठीक करते हुए अखंड ज्योत बुझ भी जाए तो छोटे दीपक की लौ से फिर जलाई जा सकती है। छोटे दीपक की लौ को घी में डुबोकर ही बुझाएं।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor