विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरी से मिलने का मार्ग है:स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज

कौशाम्बी,

विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरी से मिलने का मार्ग है:स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज,

यूपी के कौशाम्बी जिले के नगर पंचायत चरवा के बरम बाबा स्थान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा वाचक जगतगुरु द्वाराचार मलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज द्वारा शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि “नारद जी के कहने पर पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि उनके गले में जो मुंडमाला है वह किसकी है तो भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और के नहीं बल्कि स्वयं पार्वती जी के हैं। हर जन्म में पार्वती जी विभिन्ना रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करती शंकर जी उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते पार्वती ने हंसते हुए कहा हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही, आप क्यों नहीं।

शंकर जी ने कहा हमने अमर कथा सुन रखी है पार्वती जी ने कहा मुझे भी वह अमर कथा सुनाइए शंकर जी पार्वती जी को अमर कथा सुनाने लगे। शिव-पार्वती के अलावा सिर्फ एक तोते का अंडा था जो कथा के प्रभाव से फूट गया उसमें से श्री सुखदेव जी का प्राकट्य हुआ कथा सुनते सुनते पार्वती जी सो गई वह पूरी कथा श्री सुखदेव जी ने सुनी और अमर हो गए शंकर जी सुखदेव जी के पीछे उन्हें मृत्युदंड देने के लिए दौड़े। सुखदेव जी भागते भागते व्यास जी के आश्रम में पहुंचे और उनकी पत्नी के मुंह से गर्भ में प्रविष्ट हो गए। 12 वर्ष बाद श्री सुखदेव जी गर्व से बाहर आए इस तरह श्री सुखदेव जी का जन्म हुआ।

कथा व्यास जी ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।

सेवक धनंजय दास जी महराज ने प्रसाद का महत्व बताकर कहा कि ” भूखहिं टूका प्यासे पानी यही भगति हरि के मनमानी” अर्थात् भूखे को भोजन प्यासे को पानी पिलाकर सेवा करने भगवान् अत्यन्त प्रसन्न होते हैं ।इसी तथ्यानुसार इस दिव्य महोत्सव में अनवरत प्रसाद की सेवा चल रही है।

इस दौरान बिट्ठल कृष्ण जी महाराज पथमेडा राजस्थान, उपाध्याय गुरुजी वृन्दावन व्याकरणविद् मुरलीधर मिश्र ,आचार्य रवींद्र , सुधीर मिश्रा सहित अनन्य श्रोता उपस्थित रहें l

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor