देवर्षि की तपस्या से हिल उठा देवराज इंद्र का सिंघासन -करारी की ऐतिहासिक रामलीला में नारद मोह की लीला का हुआ मंचन

कौशाम्बी,

देवर्षि की तपस्या से हिल उठा देवराज इंद्र का सिंघासन
-करारी की ऐतिहासिक रामलीला में नारद मोह की लीला का हुआ मंचन,

यूपी के कौशाम्बी जिले के आदर्श नगर पंचायत करारी की ऐतिहासिक रामलीला में रविवार रात नारद मोह की लीला का मंचन किया गया। उत्तर भारत के कोने-कोने से आए कलाकारों का सुंदर अभिनय देख दर्शक भावविभोर हो उठे। पूरी दर्शक दीर्घा जय श्री राम के जयघोष से गूंजती रही।

कथा प्रसंग के मुताबिक एक बार हिमालय की मनोरम वादियों में देवर्षि नारद तपस्या करने लगते हैं। उनके तपोबल से देवराज इंद्र का सिंघासल हिल उठता है। यह देख इंद्र को लगता है कि नारद उनका राजपाठ लेने के लिए तप कर रहे हैं। देवराज अपने मित्र कामदेव को उर्वसी, रंभा, मेनका आदि अफसराओं के साथ नारद जी की तपस्या भंग करने भेजते हैं। कामदेव इस काम में असफल हो जाते हैं। ऐसे में मुनि नारद को काम पर विजय पा लेने का अहंकार हो जाता है।

श्री विष्णु उनका अहंकार दूर करने के लिए माया नगरी का निर्माण करते हैं। जहां पर विश्वमोहिनी का स्वयंबर आयोजित किया जाता है। देवर्षि विश्वमोहिनी से विवाह करने के लिए विष्णु के पास उनका सुंदर स्वरूप मांगने जाते हैं। विष्णु अपने बजाए देवर्षि को वानर का रूप दे देते हैं, जिससे स्वयंबर में नारद जी का उपहास उड़ाया जाता है। इसी से कुपित होकर देवर्षि नारद भगवान विष्णु को श्राप देते हैं कि जिस तरह से पत्नी के लिए वह भटके हैं, उसी तरह विष्णु भी वन-वन भटकेंगे।

दुखों की उस घड़ी में वानर और भालू ही सहायता करेंगे। त्रेता युग में विष्णु ने श्री राम रुप में जन्म लिया था। सीता हरण के पश्चात श्राप के परिणाम स्वरूप वन-वन भटके थे। तब वानर-भालुओं ने ही मदद की थी। इसी के साथ इस दिन की लीला का समापन हुआ।

ट्रस्ट व कमेटी के पदाधिकारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान के भौतिक स्वरूप का पूजन किया। इस मौके पर मुख्य ट्रस्टी रमेश चंद्र शर्मा, अशोक वर्मा, बच्चा कुशवाहा, राकेश जायसवाल, रामलीला कमेटी के अध्यक्ष संजय जायसवाल, ज्ञानू शर्मा, पिंटू मोदनवाल आदि मौजूद रहे।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor