श्री शत चण्डी महायज्ञ में 108 कन्या का हुआ पूजन कार्यक्रम

कौशाम्बी,

श्री शत चण्डी महायज्ञ में 108 कन्या का हुआ पूजन कार्यक्रम,

यूपी के कौशाम्बी जिले के दारानगर में महादेव मंदिर परिसर में हो रहे शत चण्डी महायज्ञ एवम श्रीमद् देवी भागवत कथा के आठवें दिन एक दिवसीय यजमान दीपक मणि,अरविंद मणि,ने मुख्य यजमानों के साथ मिलकर भगवती का पूजन अर्चन के बाद हवन कार्यक्रम संपन्न हुआ।

उसके पश्चात परिसर में 108 कन्याओं का एक साथ वैदिक मंत्रों द्वारा पूजन यजमान अमृत लाल केशरवानी ने पंडित अवध नारायण मिश्र की प्रेरणा से पिछले कई वर्षों से लगातार किया रहा है।उसके उपरांत श्रीमद् देवी भागवत कथा का वाचन करते हुए कथा व्यास कृष्ण देवाचार्य महाराज ने कहा कि जो भी नवरात्र में कन्या पूजन करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं।

कथा व्यास देवाचार्य जी ने बताया कि एक वर्ष की कन्या पूजा में नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि वह कन्या गन्ध और भोग पदार्थों की स्वाद से अनभिज्ञ रहती है। कुमारी कन्या वह कही गई है जो 2 वर्ष की हो चुकी हो। 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहते हैं और 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी, 5 वर्ष की रोहिणी, 6 वर्ष की काली, 7 वर्ष की चंडिका, 8 वर्ष की शांभवी, 9 वर्ष की दुर्गा और 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। इससे ऊपर की आयु वाली कन्या का पूजन नहीं करना चाहिए क्योंकि वह सभी कार्यों में निंद मानी जाती है।

इन नामों से कुमारी का विधिवत पूजन सदा करना चाहिए और इन कन्याओं की पूजन से प्राप्त होने वाला जो फल है वह इस प्रकार है। कुमारी नाम की कन्या का पूजन करने से दुख तथा दरिद्रता का नाश होता है वह शत्रुओं का क्षय है और धन आयु तथा बल की वृद्धि करती है। त्रिमूर्ति नाम की कन्या का पूजन करने से धर्म अर्थ काम की पूर्ति होती है धन-धान्य का आगम होता है और पुत्र पौत्र आदि की वृद्धि होती है जो राजा विद्या विजय राज्य तथा सुख की कामना करता हो उसे सभी कामनाएं प्रदान करने वाली कल्याणी नामक कन्या का नित्य पूजन करना चाहिए।

शत्रुओं का नाश करने के लिए भक्ति पूर्वक काली का नाम की कन्या का पूजन करना चाहिए तथा धन एवं ऐश्वर्य की अभिलाषा रखने वाले को चंडिका नाम की कन्या की पूजा अर्चना करनी चाहिए। कथा व्यास ने कहा कि सम्मोहन, दुख, दरिद्र के नाश तथा संग्राम में विजय के लिए शांभवी नाम की कन्या की नित्य पूजा करनी चाहिए। क्रूर शत्रु के विनाश एवं उग्र करम की साधना के निमित परलोक में सुख पाने के लिए दुर्गा नाम कन्या की भक्ति पूर्वक आराधना करनी चाहिए।

मनुष्य अगर अपना मनोरथ सिद्ध करना चाहता है तो उसे सुभद्रा नाम की कन्या की पूजा करनी चाहिए और अगर भयंकर रोग नाश की इच्छा रखता हो तो उसे रोहणी नाम की कन्या की विधिवत आराधना करनी चाहिए। इस प्रकार विधिवत कन्या पूजन करने से निश्चित ही भगवती जगदंबा की कृपा होती है एवं संपूर्ण अनिष्टों का नाश होता है।

कार्यक्रम में हजारों भक्त शामिल रहे।कल के कार्यक्रम के लिए स्वामी गोपालाचार्य जी महराज ने बताया कि राम नवमी के उपलक्ष्य पर भगवान श्री राम के जन्म दिवस के अवसर पर रामार्चा सहस्रनामो का होगा।उसके पश्चात शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति एवम श्री मद देवी भागवत महापुराण कथा का समापन होगा।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor