कौशाम्बी,
इमाम हुसैन की याद में निकाली गई ताजिया,शाम को करबला में की जायेगी दफन,
यूपी के कौशाम्बी जिले में जगह जगह इमाम हुसैन की याद में ताजिया निकाली गई,दस मुहर्रम की सुबह से ही नमूदार हुई अजाखानो से हाय हुसैन-हाय हुसैन की सदाएं बुलंद होने लगी। अजाखानों में ताजिया रखकर महिलाएं व पुरुष नौहाख्वानी व सीनाजनी में मशगूल हो गए।
नमाज होते ही अजाखानों में सजे ताजिए व ताबूत को लेकर अकीदतमंद करबला की ओर चल पड़े। रास्ते में हाय हुसैन अलविदा की सदाएं उठती रहीं। गिरिया और बुका की आवाज से पूरा माहौल गमजदा हो गया।
मंझनपुर, भरवारी, कशिया,करारी आदि स्थानों से ताजिया का जुलूस निकाला गया।नगर पालिका परिषद भरवारी के कशिया मूरतगंज में यूपी का सबसे बड़ा ताजिया निकाला गया।यह ताजिया लगभग 60 फिट तक का रहता है,जिसे लोग खुद से बनाते है और दस मुहर्रम पर निकालते है।
आज शब्बीर पर क्या आलमे तनहाई है, जुल्म की चांद पर जहरा के घटा छाई है। जब यह मर्सिया बुधवार को इमाम हुसैन का ताजिया उठाए अजादानों ने पढ़ा तो हर आंख इमाम हुसैन की शहादत और प्यास को याद कर भीग गई। दस मुहर्रम की सुबह आई अजाखानों से हाय हुसैन-हाय हुसैन की सदाओं ने पूरे माहौल को गमगीन कर दिया। सजे अजाखाने वीरान हो गए। अलविदा या हुसैन अलविदा की सदाओं से कस्बे की गलियों में सुनाई दे रही थी।
पूरे दिन अजादारों ने इमामबाड़ा में ताजिए रखकर अपने गम का इजहार किया।भरवारी कस्बे के पुरानी बाजार इमामबाड़ा से पहला ताजिया उठा। इसके बाद रोही,मुरादपुर से ताजिये उठाए गए। इसमें मौलाना ने तकरीर की। अजादार मातम करते हुए करबला की तरफ चले। नौहा पढ़ा- शह बोले सकीना से बीबी न बुका करना, हम जाते हैं मरने को तुम सदमा न सिवा करना। अजादार हाथों में ताजिया उठाए मातम करते कर्बला में पहुंचेंगे,जहां ताजिये दफन किए जायेंगे।