कौशाम्बी,
भवंस मेहता महाविद्यालय भरवारी में पुस्तक प्रदर्शनी का हुआ आयोजन,डिजिटल युग में पुस्तको की महत्ता पर हुई चर्चा,
यूपी के कौशाम्बी जिले के भवंस मेहता महाविद्यालय भरवारी में लोक भारती प्रकाशन की तरफ से पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया,जिसमे डिजिटल युग में पुस्तको की महत्ता पर प्रकाश डाला गया।
सर्वप्रथम महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर प्रबोध श्रीवास्तव ने सरस्वती मां की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलित कर पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, इसके उपरांत महाविद्यालय में “डिजिटल युग में मुद्रित पुस्तकों की उपयोगिता” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया ।
महामाया राजकीय महाविद्यालय, मंझनपुर,कौशाम्बी से आए डॉ० अजय कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इस डिजिटल युग में पुस्तकों की उपयोगिता के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक रूप से विचार करते हुए कहा की पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं ,हमें ज्ञान का संचित कोष पुस्तकों के रूप में प्राप्त होता है अगर पुस्तक नहीं होती तो यह विश्व ज्ञान के प्रकाश से वंचित रह जाता है ।
उन्होंने इस डिजिटल युग में मुद्रित पुस्तकों की बात की और उन्होंने कहा की मुद्रित पुस्तक हमें आनंदित करती हैं ,हमें एक अच्छा इंसान बनाती हैं हमारे भविष्य को संवारने के लिए जो आवश्यक बातें होती हैं वे सब हमें पुस्तकों में मिलती हैं। पुस्तक हमें सपनों की दुनिया में ले जाती हैं और यह सपना एक सुंदर जीवन का सपना होता है पुस्तकों का समाज के विकास में, नवनिर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान होता है। पुस्तकों को हम अपनी सुविधा के अनुसार जब चाहे तब पढ़ सकते हैं इसलिए हमें पुस्तकें खरीदनी चाहिए पुस्तकालय से जुड़ना चाहिए ।पुस्तकों के द्वारा अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहिए और इस प्रकार पुस्तक समाज देश और पूरी मानवता के लिए अत्यंत उपयोगी है।
महाविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विवेक कुमार त्रिपाठी ने पुस्तकों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि हम भले ही आज गूगल ,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ,जी पी चैट के युग में जी रहे हैं। लेकिन अभी भी ज्ञान के संचयन में मुद्रित पुस्तकों की भूमिका अपरिहार्य है।साथ ही साथ उन्होंने साहित्य में मुद्रित पुस्तकों की साहित्यिक प्रासंगिकता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर प्रबोध श्रीवास्तव ने छात्र-छात्राओं को पुस्तकों से जुड़ने एवं अपने आपको समृद्ध करने की बात कही। उन्होंने कहा की पुस्तकों को किसी वर्ग या संकाय में विभाजित नहीं किया जा सकता। हमें केवल अपनी ही पुस्तक नही पढ़नी नही चाहिए अपितु पाठ्य पुस्तक के अतिरिक्त भी पुस्तक पढ़नी चाहिए,क्योंकि पुस्तक हमारे भविष्य को प्रकाश से भर देती है।कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सीपी श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रोफेसर विमलेश कुमार सिंह यादव, प्रोफेसर सतीश चंद्र तिवारी ,डॉ योगेश मिश्रा, डॉ० नीति मिश्रा ,डॉ० श्रद्धा तिवारी, प्रो० श्वेता यादव ,डॉ० मोहम्मद आदिल डॉ ०राहुल राय, डॉ० दीपक ,डॉ०महेंद्र उपाध्याय, डॉ धर्मेंद्र कुमार अग्रहरी ,डॉ० मनीष, डॉ० संजू डॉ दीपक और डॉ० पंकज आदि मौजूद रहे।