कौशाम्बी,
NSS के सात दिवसीय विशेष शिविर के पांचवे दिन का प्रथम -सत्र ‘बच्चों की अनुभूति और प्राथमिक शिक्षा’ तथा द्वितीय सत्र ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की सार्थकता ‘ के लिए रहा समर्पित,
यूपी के कौशाम्बी जिले के भवंस मेहता महाविद्यालय भरवारी में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर के पांचवे दिन का प्रथम -सत्र ‘बच्चों की अनुभूति और प्राथमिक शिक्षा’ तथा द्वितीय सत्र ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की सार्थकता ‘ के लिए समर्पित रहा।
कार्यक्रम का प्रारंभ प्रत्येक दिन की भांति परिसर की साफ सफाई करके किया गया, उसके पश्चात स्वयंसेवकों द्वारा लक्ष्य गीत गाकर के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया।स्वयंसेवको द्वारा प्रथम सत्र में कम्पोजिट विद्यालय ,परसरा का भ्रमण किया गया।उन्होंने विद्यालय पहुँचकर बच्चों से बात करके उनके ज्ञान और बोध का परीक्षण किया।उन्होंने उनकी समस्याओं और उनके भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत रूप से बात किया।इस दौरान स्वयंसेवको ने विद्यालय के बच्चों पढ़ाया भी।स्वयंसेवकों से पढ़कर और उनसे बात करके बच्चे बहुत प्रसन्न थे।
महिला जागरूकता को आगे बढ़ाने के लिए उनके अधिकारों को सबको बताने के लिए रैली निकाली गई।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर “अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की सार्थकता “पर सार्थक चर्चा आरम्भ हुई।इस कार्यक्रम को सबसे पहले संबोधित करते हुए प्रोफेसर प्रबोध श्रीवास्तव ने कहा कि महिला दिवस मनाने का उद्देश्य महिला को पुरुष बनाने से नही है।बल्कि इसका उद्देश्य उसे जागरूक करने और अपने अधिकार के प्रति सजग करने से है,उन्होंने इस दौरान महिलाओं में बढ़ती नकारात्मकता पर निराशा व्यक्त किया।
प्रोफेसर सतीश चंद्र तिवारी ने महिला दिवस पर बोलते हुए कहा कि मैं आज जो कुछ हूँ, अपनी मां की बदौलत हूँ , उन्होंने बोलते हुए कहा कि यदि समाज से लैंगिक भेदभाव खत्म हो जाये तो समस्या अपने आप खत्म हो जायेगी।इसके उपरांत कार्यक्रम को डॉ० संजू ने संबोधित करते हुए कहा कि ग्रामीण महिलाओं को शहरी महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है,परंतु जो महिला इन परिस्थितियों का सामना करके आगे बढ़ती है तो वो निश्चित रूप से सफल होती है।
कार्यक्रम को अगले वक्ता के रूप में प्रोफेसर विवेक कुमार त्रिपाठी ने संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं को मीराबाई, यशोदा देवी से शिक्षा ग्रहण करना चाहिए जिन्होंने संघर्ष करके अपने जीवन को सफल बनाया।उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि स्त्रियों को इतिहास में हमेशा अन्य के नजरिये से देखा गया है या कहें कि इतिहास में उनकी बात केवल रंचमात्र आती है।इसके बाद कार्यक्रम को डॉ० श्रद्धा तिवारी ने संबोधित किया उन्होंने बताया कि कैसे लड़कियां अपनी आज़ादी का दुरूपयोग कर रही हैं।उन्होंने बताया कि स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा द्वारा हम समाज में अपने आपको आगे बढ़ा सकते हैं।इसके उपरांत डॉ० चुम्मन प्रसाद ने स्त्री सशक्तिकरण के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि जब सारे देवता हार गए तब संघर्ष के लिए शक्ति को पैदा किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रोफेसर श्वेता यादव ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिलाओं के लिये किये जाने वाली घोषणाओं के बारे में चर्चा किया साथ ही साथ उन्होंने लड़कियों को अपने अधिकारों को जानने और आर्थिक रूप से मजबूत बनने के लिए प्रोत्साहित किया।इसके उपरांत राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ० धर्मेन्द्र कुमार अग्रहरी ने स्वयंसेवको को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को लड़कियों को उनके स्वाभाविक की तरफ ध्यान देना चाहिए।
इस अवसर पर वॉइज़ा अरब,अर्सिया और वैष्णवी विश्वकर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।बच्चों द्वारा इस अवसर पर कई कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।