महान क्रांतिकारी वीरांगना कौशाम्बी जिले की शान (आयरन लेडी )दुर्गा भाभी  की जन्म जयंती भूला प्रशासन

कौशाम्बी,

महान क्रांतिकारी वीरांगना कौशाम्बी जिले की शान (आयरन लेडी )दुर्गा भाभी  की जन्म जयंती भूला प्रशासन

यूपी के कौशाम्बी जिले की शान महान क्रांतिकारी वीरांगना आयरन लेडी के नाम से इतिहास के पन्नो में दर्ज दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी ) की जयंती को प्रशासन और समाजसेवी भूल गए।

वीरांगना दुर्गा भाभी का जन्म 7 अक्टूबर 1907 को सिराथू तहसील क्षेत्र के  शहजादपुर गांव में पंडित बांके बिहारी भट्ट के यहां हुआ था l इनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे और उनके बाबा पंडित महेश प्रसाद भट्ट जालौन जिले में थानेदार के पद पर थे l इनके दादा पंडित शिव शंकर भट्ट शहजादपुर के जमींदार थे lवीरांगना दुर्गा भाभी का विवाह लाहौर के भगवती चरण वोहरा के साथ हुआ था, इनके ससुर पंडित शिवचरण राय जो रेलवे के ऊंचे पद पर तैनात थे l

देश की आजादी की लड़ाई में वीरांगना दुर्गा भाभी का अहम योगदान रहा। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का न सिर्फ वह सहयोग करती रहीं, बल्कि खुद भी बम बनाना सीख लिया था। दुर्गा भाभी ने देश की आजादी की लड़ाई के लिए बम बनाने में महारत हासिल कर ली थी।

केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने के बाद जब भगत सिंह गिरफ्तार हो गए तो दुर्गा भाभी ने इन्हें जेल से निकालने की योजना बनाई इसमें इस्तेमाल करने के लिए जो बम बनाए गए उनके परीक्षण में 28 मई 1930 को इनके पति भगवतीचरण वोहरा की मृत्यु हो गई थी l

भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद ,और सुखदेव के साथ मिलकर अंग्रेजों से लोहा लेने वाली महिला क्रांतिकारी दुर्गा भाभी क्रांतिकारियों के लिए हथियार जुटाती थी चंद्रशेखर आजाद ने जिस पिस्तौल से खुद को गोली मारी वह उन्होंने ही लाकर दी थी 9अक्टूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने गवर्नर हेली पर हमला किया लेकिन हेली बच गया और सैनिक अधिकारी ट्रेलर घायल हो गया l और मुंबई में अंग्रेज पुलिस अधिकारी को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी जिसके लिए उन्हें और साथी यशपाल को गिरफ्तार किया गया था l अंग्रेजो से लोहा लेने वाली दुर्गा भाभी ने भगत सिंह को उनकी यूरोपीय पत्नी का भेष बनाकर अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंककर बचाया गुमनामी का जीवन जीते हुए 1999 में गाजियाबाद में उनका निधन हो गया l

शासन ने वीरांगना दुर्गा भाभी की जन्मस्थली शहजादपुर में शहीद स्मारक तो बनवा दिया लेकिन उनकी जयंती पर कोई भी जनप्रतिनिधि गांव में नही पहुंचा,जिसके बाद उनके भतीजे उदय शंकर भट्ट ने साधारण तरीके से अपने घर पर ही उनका जन्मदिन मनाया।जनप्रतिनिधियों द्वारा शहीद वीरांगना दुर्गा भाभी के प्रति इस रवैए से उनके परिजनों में रोष व्याप्त है।

 

 

 

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor