पर्यटन मंत्री ने संस्कृति विभाग के अधीन आने वाले सभी सेक्टरों की गहन समीक्षा 

उत्तर प्रदेश,

पर्यटन मंत्री ने संस्कृति विभाग के अधीन आने वाले सभी सेक्टरों की गहन समीक्षा,

न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेन्सी)

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने संस्कृति विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि निर्माण कार्यों से लेकर समय-समय पर किये जाने वाले विभिन्न आयोजनों में धनराशि व्यय करते समय हर स्तर पर वित्तीय अनुशासन का पालन करें। इसके साथ ही उन्होंने विभाग द्वारा संचालित निर्माण कार्योंं को समय से पूरा करने के साथ ही हर स्तर पर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि घटिया सामग्री के प्रयोग एवं अधोमानक कार्यों के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।

पर्यटन मंत्री  पर्यटन निदेशालय में संस्कृति विभाग के अधीन आने वाले सभी सेक्टरों की विस्तार से समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने दूसरी बार योगी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद समय-समय पर आयोजित बैठकों में दिये गये निर्देशों एवं निर्णयों के क्रियान्वयन के बारे में समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जो कार्य अधूरे रह गये हैं, उनको युद्ध स्तर पर कार्यवाही करते हुए पूरा करा लिया जाए।उन्हांेंने यह भी कहा कि निर्माण कार्यों में वित्तीय अनुशासन के साथ समयबद्धता एवं गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए।

जयवीर सिंह ने यह भी निर्देश दिये कि संस्कृति विभाग के अधीन आने वाले सभी संस्थानों से अलग-अलग नये पुरस्कार दिये जाने के संबंध में सार्थक प्रस्ताव 31 दिसम्बर, 2022 तक प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि उ0प्र0 में गीत, संगीत, नाटक, गायन, शिल्प, चित्रकला, फोटोग्राफी आदि क्षेत्रों में प्रतिभायें बिखरी पड़ी है। इनके उत्साहवर्धन के लिए नये पुरस्कारों के प्रस्ताव तैयार किए जाए तथा उ0प्र0 का नाम रोशन करने वाले विभिन्न क्षेत्रों के विभूतियों को सम्मानित किया जाए।

पर्यटन मंत्री ने संस्कृति विभाग एवं अन्य संस्थानों के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि उनके संस्थानों के कार्य धरातल पर दिखाई देने चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थानों द्वारा संचालित गतिविधियों को तेज तथा मूर्त रूप देने के लिए अधिकारी फील्ड में जायें। उन्होंने कहा कि नई प्रतिभाओं को संस्थान से जोड़ें, इसके अलावा जनपद स्तर पर शिविर लगाकर गॉव के कलाकारों का पंजीकरण सुनिश्चित करायें।

जयवीर सिंह ने कहा कि संस्कृति विभाग के अधीन कार्य करने वाली कार्यदायी संस्थाओं के कार्यों की समय-समय पर जांच परख सुनिश्चित की जाए ताकि निर्माणाधीन भवन, सभागार, स्मारक आदि को समय से पूरा करायें ताकि आम जनता को समर्पित किया जा सके। उन्होंने कहा कि नदी संस्कृति को बचाने के लिए सभी संस्थान एकजुट होकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि सभी संस्थान हर महीनें के पहले शनिवार को संगीत नाटक एकेडमी में बैठक करके अपने अनुभवों को साझा करें कि संस्थानों की गतिविधियों को जनपरक और बेहतर कैसे बनाया जाए।

पर्यटन मंत्री ने उ0प्र0 राज्य संग्रहालय, पुरातत्व आदि संस्थानों को निर्देश दिये कि उनके द्वारा किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की रिपोर्ट जिसमें कार्यक्रमों की संख्या, छात्रों की संख्या आदि की रिपोर्ट निदेशालय को भेंजे। उन्होंने गॉव की संस्कृति को संरक्षित करने पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक करें, ताकि भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जड़ों को और मजबूत किया जा सके। उन्हांेंने कहा कि आगे आने वाले कुम्भ में 40 करोड़ लोगों के आने की सम्भावना है। इसमें प्रदेश की संस्कृति विरासत, खान, पान, परिधान, गीत, संगीत, नाट्य एवं अन्य विशेषताओं को प्रदर्शित करने के लिए कुछ नया सोंचे।

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश मेश्राम ने कहा कि भारत खासतौर से उ0प्र0 की संस्कृति दुनिया में पहुंचाना है। इसके साथ ही इसके कालजयी संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का दौर सोशल मीडिया और तकनीक का है। इसका सहारा लेकर आप बड़ी जनसंख्या तक पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में दिये गये सभी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

इस अवसर पर विशेष सचिव संस्कृति ए0के0 सिंह, पर्यटन सलाहकार जे0पी0 सिंह समेत संस्कृति विभाग के विभिन्न संस्थानों से जुड़े अधिकारी एवं प्राधिकारी मौजूद थे।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor