कौशाम्बी,
कौशाम्बी में पशु आहार के नाम पर बेचा जा रहा शराब की फैक्ट्री से निकला जहरीला कचरा,अवैध शराब बनाने में भी हो रहा प्रयोग,
यूपी के कौशाम्बी जिले में शराब फैक्ट्री से निकला जहरीला कचरा जिसे नष्ट करने के लिए फैक्ट्री से निकाला जाता है, उसे अवैध रूप से लाकर खपाया रहा है। यह जहरीला कचरा अवैध रूप से बनाने वाली कच्ची शराब के लिए सस्ता कच्चा माल बना हुआ है, जोकि अब महुआ का स्थान ले चुका है। यही नहीं बताया जा रहा है कि इस कचरे को पशुओं के आहार के रूप में भी बड़ी भारी मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है जो दुधारू पशुओं को बांझ बना रहा हैं। जिले में प्रतिदिन सैकड़ो टन यह कचरा उतर रहा है,ऐसा नहीं है कि स्थानीय प्रशासन इससे अनजान है, लेकिन आखिर किस लिए प्रशासनिक जिम्मेदार इस जानलेवा व्यापार की ओर से आंख मूंदे हुए हैं और अंजान बन गए बैठे है।
बताया जा रहा है कि गैर प्रांत में स्थित शराब की फैक्ट्री से सड़े हुए अनाज को कचरे के रूप में बाहर निकाला जाता है यह कचरा जहरीला भी होता है,जिसमें अल्कोहल की बड़ी मात्रा भी पाई जाती है। जिले में प्रतिदिन सैकड़ो टन से अधिक यह कचरा फर्जी तरीके से पशु आहार के कागजात पर उतर रहा है। जबकि शराब फैक्ट्री से निकले कचरे के प्रयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है।
जिले के तराई थाना क्षेत्र कड़ा धाम में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर प्रतिदिन कई ट्रक यह अवैध कचरा उतारा जा रहा है। इस कचरे में अल्कोहल की मात्रा अधिक होने के चलते अवैध शराब बनाने वाले लोग इसका प्रयोग अवैध शराब बनाने में कच्चे माल के रूप में कर रहे हैं। चूंकि की इसका मूल्य महुआ से कई गुना कम होता है, यह कचरा ₹800 प्रति कुंटल में लोगों को बेचा जा रहा है, जबकि महुआ का रेट ₹4000 प्रति कुंतल से अधिक है। जिसके चलते यह अवैध कारोबारी इस जहरीले कचरे को कच्चे माल के रूप में प्रयोग कर अवैध शराब को बना रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर पशु पालक द्वारा सस्ते पशु आहार के रूप में शराब की फैक्ट्री से निकला कचरा जिले के दुधारू पशुओं को खिला रहें है। अल्कोहल की मात्रा अधिक होने के चलते पशु इसके आदी हो जाते हैं जो बाद में इस सड़वा कहे जाने वाले इस कचरे के बिना चारा खाना पसंद नहीं करते। वही यह कचरा जहां मादा पशुओं को बांझ बना रहा है।
जिले के कड़ाधाम थाना क्षेत्र के सातो, बंसी की बाग, बसवारी, गिरधरपुर गढ़ी में प्रतिदिन 10 से 12 ट्रक यह अवैध कचरा जो कि प्रत्येक ट्रक में 25 से 35 टन तक लोड होता है आ रहा है।आरोप है कि करोड़ों रुपए सालाना के बचत वाले इस अवैध कारोबार से इलाके की पुलिस भी मोटा रुपया कमा रही है जिसके चलते यह अवैध कारोबार बेरोकटोक संचालित हो रहा है।
शराब की फैक्ट्री से निकलने वाले इस अवैध कचरे को बेचने पर सरकार ने रोक लगा रखी है,लेकिन कारोबारी इस कचरे को फर्जी रूप से पशु आहार की गाड़ी बताकर फर्जी कागजातों के सहारे इस अवैध कारोबार को चला रहे है। यह शराब की फैक्ट्री से निकलने वाला कचरा नेपाल, बंगाल, बिहार, सीतापुर, निगोही, कटरा और मुजफ्फरपुर जैसे स्थानों से जिले में लाकर खपाया जा रहा है। जिले में इस अवैध कारोबार का सालाना बजट करोड़ों में बताया जा रहा है।
इस संबंध में सीओ सिराथू अवधेश विश्वकर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी कराई जा रही है,यदि ऐसा है तो जांच के बाद ऐसे लोगो पर कार्यवाई की जायेगी।