कौशाम्बी,
किसान भाई फसलों में संस्तुत मात्रा में ही उर्वरकों का करें प्रयोग,
यूपी के कौशाम्बी जिला कृषि अधिकारी डॉ0 संतराम ने जनपद के समस्त किसान भाइयों को सूचित किया है कि रबी सीजन प्रारम्भ हो चुका है तथा आलू की बुवाई भी अगले सप्ताह प्रारम्भ हो जायेंगी। इस सम्बन्ध में अवगत कराना है कि जनपद में फास्फेटिक उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता हैं।फास्फेटिक उर्वरक डी0ए0पी0, अमोनियम फास्फेट (20ः20ः0ः13), एन0पी0के0 (12ः32ः16), (19ः19ः19) आदि सहकारी समतियों एवं अन्य निजी बिक्री केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने सभी कृषक भाइयों से अनुरोध किया है कि आवश्यकता के अनुसार फसलों की संस्तुत मात्रा में ही उर्वरक क्रय करें। उर्वरक लेते समय किसान अपना आधार कार्ड एवं खतौनी लेकर जाये तथा आवश्यकतानुसार उर्वरक प्राप्त करें।
फास्फेटिक उर्वरक के रूप में आलू की फसल के लिए ए0पी0एस0/एन0पी0के0 (20ः20ः0ः13), का प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। आलू की फसल के लिए प्रति बीघा संस्तुत उर्वरक मात्रा नाइट्रोजन 35-37 किग्रा0, फास्फोरसः 15-20 किग्रा0 एवं पोटाश 20-25 किग्रा0 है, जो प्रति बीघा मात्र 35-45 किग्रा0 डी0ए0पी0, 60- 65 किग्रा0 यूरिया एवं 40-42 किग्रा0 म्युरेट ऑफ पोटाश के द्वारा पूर्ति की जा सकती है।
उन्होंने कृषक भाइयों को सलाह दी है कि संतुलित उर्वरक के रूप में एन0पी0के0, सिंग्लसुपर फास्फेट का प्रयोग करें तथा राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर उपलब्ध जैव उर्वरक पी0एस0बी0 कल्चर का प्रयोग बीज शोधन, मृदा शोघन के रूप में करने से मृदा में उपलब्ध अघुलनशील फॉस्फोरस पौधों को घुलनशील रूप में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। ये जैव उर्वरक शासन द्वारा 75 प्रतिशत तक अनुदान पर उपलब्ध है, इसके अतिरिक्त 01 ली0 पानी में 05 एम0एल0 नैनों डी0ए0पी0 डालकर छिड़काव करें। आलू के कन्दों तथा सब्जियों के नर्सरी जैसे-गोभी, बैगन, मिर्च आदि का जड़ शोधन करके रोपाई करने से कम लागत में उच्च गुणवत्तायुक्त अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
नैनौ डी0ए0पी0के प्रयोग से दानेदार डी0ए0पी0 की तुलना में पौधों में वृद्धि एवं उपज में सकारात्मक परिणाम रिपोर्ट किये गये हैं। सहकारी समितियों में उर्वरक वितरण में आने वाली समस्याओं के सम्बन्ध में राजेन्द्र कुमार सहायक आयुक्त एवं सहायक निबन्धक सहकारिता कौशाम्बी के मोबाइल नं0-9559157929 एवं जिला कृषि अधिकारी के मोबाइल नं0-7839882351 पर सीधे सम्पर्क कर सकतें है। उन्होंने कृषक भाइयों से अनुरोध किया है कि फसलों में संस्तुत मात्रा में ही उर्वरकों का प्रयोग करें। अनावश्यक उर्वरकों का भण्डारण न करें।