कुंडा विधायक राजा भैया को सीओ हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत,सीबीआई की विशेष अदालत के आदेश को किया खारिज

उत्तर प्रदेश,

कुंडा विधायक राजा भैया को सीओ हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत,सीबीआई की विशेष अदालत के आदेश को किया खारिज

यूपी के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा में तत्कालीन सीओ रहे जिया-उल-हक की हत्या मामले में कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें जिया-उल हक हत्याकांड में राजा भैया की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया गया था।

सन 2014 में पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण सीबीआई ने राजा भैया को क्लीन चिट देकर अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी थी लेकिन सीबीआई कोर्ट ने इस रिपोर्ट को खारिज कर आगे की जांच का आदेश दिया था।

घटना 2 मार्च 2013 की है जब प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में तत्कालीन कुंडा सीओ रहे जियाउल हक, ग्राम प्रधान नन्हे लाल यादव और उनके भाई सुरेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कुंडा के तत्कालीन विधायक राजा भैया हत्या के नामजद आरोपियों में से एक थे। घटना की जांच कर रही सीबीआई ने 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

घटना के एक साल बाद सन 2014 में सीबीआई ने इस केस में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी थी।इसके बाद लखनऊ की सीबीआई अदालत के स्पेशल न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और मामले की आगे जांच करने के आदेश दे दिए थे। सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी।

मामले की सुनवाई करते हुए 25 नवंबर को पारित अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि 8 जुलाई 2014 को पारित आदेश को निरस्त किया जाता है।मामले में आदेश देने वाले जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि तथ्यों पर नजर डालें तो लगता है कि स्थानीय विधायक राजा भैया मामले की जांच के दौरान स्वेच्छा से पॉलीग्राफी टेस्ट से गुजरे थे। इस दौरान उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे। ऐसे में कोर्ट को लगता है कि स्पेशल कोर्ट का आदेश कानूनन अस्थिर है और यह तथ्यों की बजाय मजिस्ट्रेट की धारणाओं पर आधारित है।इसके अलावा जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद के द्वारा लगाए आरोपों की पुष्टि भी नहीं की जा सकी, क्योंकि वह कोई सबूत पेश नहीं कर सकी थीं।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor