ड्यूटी के दौरान हादसे में घायल सिपाही 5 साल से कोमा में,पुलिस विभाग ने कर दिया परमानेंट रिटायर,इलाज में बिक गए खेत और घर

उत्तर प्रदेश,

ड्यूटी के दौरान हादसे में घायल सिपाही 5 साल से कोमा में,पुलिस विभाग ने कर दिया परमानेंट रिटायर,इलाज में बिक गए खेत और घर,

यूपी के गौतमबुद्ध नगर में ड्यूटी के दौरान हादसे में घायल हुआ यूपी पुलिस का सिपाही सागर सिंह पिछले पांच साल से कोमा में हैं।सिपाही बेटे का इलाज कराते-कराते पिता के खेत बिक गए, लाखो रुपये खर्च होने के बाद भी उम्मीद की किरण अभी भी नहीं दिख रही। वही पुलिस विभाग ने सिपाही को परमानेंट रिटायर कर दिया और पेंशन के नाम पर केवल 3080 रुपये हर माह भेज रहे हैं। इससे घर का खर्च चलाना तो दूर, बीमार सिपाही की दवा खरीदना भी मुश्किल है। पीड़ित पिता विशंभर सिंह ने कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह को रोते हुए यह पीड़ा बताई है। उन्होंने मामले में जांच के आदेश किए हैं।

आगरा के खंदौली के हसनपुरा निवासी विशंभर सिंह घर में ही परचून की दुकान चलाते हैं,उनके दो बेटे और एक बेटी है,बड़ा बेटा सागर सिंह वर्ष 2016 में पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था। उसकी पहली तैनाती गौतमबुद्ध नगर के थाना फेस-दो में थी। चार सितंबर 2017 को वह बाइक पर समन तामील करने के लिए थाने से रवाना किया गया था। नगला कट के यूटर्न पर एक स्कूटी से टक्कर हो गई। सागर गंभीर घायल हो गया, वह कोमा में चला गया। कई अस्पतालो में इलाज के बाद भी बेटा कोमा से बाहर नहीं आ सका। अब घर में ही इलाज करा रहे हैं।

पीड़ित पिता ने बताया कि नवंबर 2021 में विभाग ने सागर को अनफिट होने की वजह से परमानेंट रिटायर कर दिया और 3080 रुपये पेंशन जारी कर दी, जबकि सागर की दवा और खाने-पीने पर ही हर महीने 10-12 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। बेटे का इलाज कराने में खेत बिक गए। लोगों से कर्ज भी लेना पड़ा। पिता का यह भी कहना था कि उनको गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट से एक पत्र भेजा गया था। इस पर बेटे के नाम के आगे स्वर्गीय लिखा गया था, जबकि सागर अभी कोमा में है। इस संबंध में विभागीय कर्मचारियों से शिकायत की थी। उन्होंने गलती बताकर सुधारने के लिए कह दिया। मगर, अब तक कुछ नहीं हुआ।

पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि पूरे मामले को दिखवाया जा रहा है। पेंशन में कोई त्रुटि होगी तो सही कराया जाएगा। परिजन से कहा गया है कि वह इलाज से संबंधित बिल जमा करें। इसके बाद भुगतान कराया जाएगा।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor