कौशाम्बी
जिले की बेटी राज्य स्तरीय खेल में चार गोल्ड मेडल जीत चुकी है। चार साल में चार बार लगातार गोल्ड मेडल जीते। कौशाम्बी की बेटी जागृति ने अपने खेल से बेटियों का दिल जीता था। भव्य स्वागत कर कौशाम्बी के लोगो ने उसका उत्साह बढ़ाया था। नेशनल स्तर पर खेलने के लिए जागृति को अब ओपन एयर गन की जरूरत है। पांच लाख 50 हजार की कीमत की यह गन वह खरीदने में सक्षम नहीं है। परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। डिप्टी सीएम, सांसद से गुहार लगाई गई, लेकिन अब जागृति की उम्मीदें टूटने लगी हैं, क्योंकि कहीं से उसको मदद की आस नहीं दिख रही है।
सिराथू तहसील के धुमाई गांव के जागृति सिंह मौर्या ने रायफल शूटिंग में चार गोल्ड मेडल जीते हैं। इसकी शुरूआत जागृति सिंह ने वर्ष 2016 में गोरखपुर से की थी। इसके बाद जागृति सिंह ने पलटकर नहीं देखा। जागृति ने राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में वर्ष 2017, 2018 और वर्ष 2019 में गोल्ड मेडल जीते। वर्ष 2019 में गोल्ड मेडल जीतने पर सिराथू में जागृति सिंह का भव्य स्वागत हुआ था। विधायक सिराथू शीतला प्रसाद पटेल ने भी आश्वासन दिया था कि बेटी को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। जागृति सिंह को बड़ी उम्मीद थी कि राष्ट्रीय स्तर पर उसे खेलने के लिए संसाधन सरकार की ओर से मिलेंगे, लेकिन उसका सपना पूरा नहीं हो सका। वह दो साल से ओपन एयर गन के लिए परेशान है, लेकिन उसको एयर गन नहीं मिल पा रही है। इससे वह अपनी प्रैक्टिस नहीं कर पा रही है। कई बार उसने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, सांसद विनोद सोनकर, तत्कालीन डीएम से गुहार लगाई, लेकिन जागृति सिंह के अरमान पूरे नही हो सके। जागृति के पिता शुभनेत्र मौर्य की माली हालत इतनी ठीक नहीं कि वह पांच लाख 50 हजार रुपये कीमत की ओपन एयर गन खरीद सकें। यही कारण है कि वह सरकारी मदद पाने का प्रयास कर रही है, लेकिन उसकी कोई सुन नहीं रहा है।
खेल मंत्रालय से भी लगा चुकी है गुहार
जागृति सिंह धर्मा देवी इंटर कालेज केन कनवार की छात्रा रह चुकी है। कालेज के प्रधानाचार्य रामकिंकर त्रिपाठी ने जागृति की रायफल शूटिंग में काफी मदद की थी। यही कारण था कि छात्रा ने पढ़ाई के दौरान गोल्ड मेडल जीता। छात्रा मुख्यमंत्री से भी सम्मानित हो चुकी है। इसके बावजूद अब राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए उसे तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खेल मंत्रालय से भी कई बार गुहार लगा चुकी है, लेकिन कहीं कोई सुनाई नहीं हो रही है।