कौशाम्बी में यमुना घाटो पर नावों से हो रहा बालू का अवैध खनन, जिम्मेदार बने मूकदर्शक

कौशाम्बी,

कौशाम्बी में यमुना घाटों पर नावों से हो रहा बालू का अवैध खनन, जिम्मेदार बने मूकदर्शक,

कौशाम्बी जिले में पिपरी थाना क्षेत्र के उमरवल बालू घाट पर पट्टाधारक नावों के जरिए अवैध बालू खनन करा रहे हैं। नावों से खनन कराकर माफिया डंपर-ट्रैक्टर से ढुलाई कर रहे है। ग्रामीणों की माने तो भूखंड का खनन से पट्टा हुआ है। पर, उस भूखंड पर बालू न होने के कारण माफिया पुलिस की मिलीभगत से अवैध खनन करा रहे हैं। जानकारी होने के बाद भी इलाकाई पुलिस और तहसील प्रशासन समेत खनन विभाग कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है।यमुना नदी के उमरवल घाट पर माफिया अवैध बालू खनन करने में सक्रिय हं। लोगों के अनुसार पिछले कई महीने से बालू का अवैध खनन नावों से किया जा रहा है। उसके बाद रात-दिन डंपर-ट्रैक्टर से ढुलाई की जा रही है। ग्रामीणों की बातों पर यकीन करें तो माफिया नाविकों से बालू कम दाम में खरीद कर उसे मंहगे दामों में बेच रहे हैं। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर नावकि ने बताया कि सौ फिट बालू का माफिया उसे एक हजार रुपया देते हैं। माफिया उस बालू को दो हजार रुपए में बेचते हैं। उसके अलावा रास्ते और रवन्ना के नाम पर पंद्रह सौ रुपया लेते हैं। पुलिसिया संरक्षण होने के चलते माफिया दिन-रात अवैध खनन कर यमुना का सीना छलनी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कई बार अवैध खनन की सूचना स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को दी। इसके बाद भी बालू माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन कारोबारियों को पुलिस और खनन विभाग का संरक्षण मिला है, जिससे इन माफियाओं पर कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही है।
उमरवल इलाके के किसान भी परेशान हैं। बालू माफिया इनकी फसल बोई खेतों से बालू लदे ट्रैक्टर और डंपर असलहों के दम पर निकालते हैं। कई बार किसानों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पर, माफियाओं से सांठगांठ होने के कारण पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिसिया शह के कारण किसानों को अपनी फसल का काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

प्रयागराज जनपद के लालापुर थाने में पखवाड़े भर पहले उमरवल पट्टाधारक समेत दर्जनों नाविकों के खिलाफ खान अधिकारी ने अवैध खनन करने का मुकदमा दर्ज कराया था। पट्टाधारक पर आरोप है कि वह नाविकों के जरिए लालापुर थाना अंतर्गत घाट से अवैध खनन कराकर कौशांबी के रास्ते परिवहन करा रहा है।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor