उत्तर प्रदेश,
मानसिक रोग कोई पागलपन नहीं होता, मानसिक रोग के प्रति और अधिक जागरूकता की है जरूरत: मनोचिकित्सक डॉ आरती यादव,
इस बदलते परिवेश की चकाचौंध जिंदगी में भागदौड़ करता आज के युवा की सबसे बड़ी कमजोरी यह होती है कि वह बिना हाथ पैर मारे सारी सुविधाएं पा लेना चाहता है ,चाहे वह परीक्षाफल हो अथवा जीवन के उद्देश्यो की प्राप्ति ही क्यों न हो? जिसके कारण वह तनावग्रस्त हो जाता है,साथ ही अपनी असफलता छुपाने के लिए नशे की ओर बढ़ जाता है, जिसके कारण वह मानसिक रोग का शिकार हो जाता है।
उक्त बातें एक मुलाकात के दौरान बाराबंकी जनपद की जिला अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक डॉ आरती यादव ने कही, उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि हमें अपना जीवन एक अच्छा निरोगी जीवन जीने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा।क्योंकि अगर हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगे तो कभी भी तनाव मुक्त नहीं रह सकते।
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में शिक्षा एवं नौकरी को लेकर युवाओं पर काफी दबाव रहता है,जिसके कारण युवा तनावग्रस्त हो जाते हैं , इसके दोषी मां-बाप के साथ स्कूल, -कॉलेज भी होते हैं जो युवाओं पर पढ़ाई के प्रति दबाव बनाते है,जिसके कारण युवा एवं युवतियो मे आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
उन्होंने बताया की पारिवारिक एवम सामाजिक और सांस्कृतिक मतभेद भी लोगों को मानसिक रोगी बना देते हैं,जिस व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होगा वह दूसरे लोगों की तुलना में अधिक संघर्षशील व मेहनतकश इंसान होगा।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में (सीपी) बच्चों के बारे में बताया की घरों में दाई, एवं अनभिज्ञ चिकित्सकों द्वारा कराए गए प्रसव एवं ऑपरेशन व नॉर्मल डिलीवरी के समय ऑक्सीजन की कमी के कारण सीपी बच्चों का जन्म होता जो शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होते हैं। लक्षणों व कारणो के बारे में डां आरती यादव ने बताया कि ऐसे लोग जो हमेशा उदास रहते , जी घबराया करता है , उनके मन में नकारात्मक विचार आते हैं, उन्हें नींद नहीं आती परिवार के सदस्यो के साथ बैठना पसन्द नहीं करते, तथा वह ऐसी घटनाओं के बारे में सोचते रहते जो कभी घटित ही नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि कुछ महिला और पुरुष ऐसे होते हैं कि अगर आपने उन्हें छू लिया या उनके बिस्तर पर बैठ गए तो वह पूरे बिस्तर को धुल देते है तथा स्वयं स्नान कर लेते हैं,ऐसे लोग भी मानसिक रोगी होते हैं। जिन लोगों में ऐसे लक्षण पाए जाते हैं उनसे परिवार एवं समाज समाज भी दूरी बनाकर उनका तिरस्कार करता है, जो कतई सही नहीं है ऐसे मानसिक रोगी को तो परिवार एवं समाज से प्यार ,दुलार एवं सम्मान की आवश्यकता होती है। उसे तत्काल मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए।
मनोचिकित्सक डॉक्टर आरती यादव ने बताया की प्रतिदिन जिला अस्पताल 60 से 70 मानसिक रोगी आते हैं, जिनकी काउंसलिंग की जाती है तथा उनके परिवारजनों से बात करके उनका इलाज शुरू किया जाता है अधिकांश मरीजों में नींद न आना ,घबराहट होना, तनावग्रस्त रहना, किसी कार्य के मन न लगना महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं। उन्होंने बताया की मानसिक रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। किंतु जागरूकता के अभाव में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे मानसिक रोगियों को भूत- प्रेत का साया मानकर लोग बाबा- मौलवियों के चक्कर में पड़े रहते हैं जबकि ऐसे लक्षण पाए जाने पर तत्काल अपने आसपास में मौजूद मनो चिकित्सक को तत्काल दिखाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि मानसिक रोग ऐसा कोई रोग नहीं है, जो ठीक नहीं हो सकता है यह लोगों की गलत धारणा है की मानसिक रोगी की पूरे जीवन दवा चलती है। डॉक्टर यादव का यदि मानना है की वर्तमान समय में लोग दिखावे एवं स्टेटस के चक्कर में अधिक तनाव ग्रस्त रहते हैं जिसके कारण उन्हें अच्छी नींद नहीं आती और वह मानसिक रोग के शिकार हो जाते हैं। जैसे स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन होना आवश्यक है, वैसे ही स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मानसिक होना भी आवश्यक है।