कौशाम्बी,
अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए रहेगी नजर,शिक्षा से ही खत्म होगी बाल विवाह की बुराई:पूर्णिमा प्रांजल,
यूपी के कौशाम्बी जिले में जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति तथा जिला प्रशासन कौशाम्बी के संयुक्त तत्वाधान मे अक्षय तृतीया के अवसर पर लोगो को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करने के लिए आडिटोरियम हाॅल डायट, मंझनपुर मे बाल विवाह निषेध जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया,जिसमें बतौर मुख्य अतिथि एडीएम वित्त एवं राजस्व अरूण कुमार गोंड तथा अपर जिला जज/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पूर्णिमा प्राजंल शामिल हुए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा सरस्वती माँ के चरणों मे द्वीप प्रज्जवलित व पुष्प अर्पित कर किया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी मंतशा बानो ने लोगो का स्वागत करते हुए कहा कि बाल विवाह एक ऐसी सामाजिक कुप्रथा हैं जो हमारी संस्कृति एवं सामाजिक प्रथाओं मे बहुत गहरी धंसी हुई है यह एक गलत समाजिक परंपरा ही नहीं, बल्कि भारतीय कानून के अनुसार भी एक बडा अपराध है। यह बच्चों का बचपन छीनता है उनकी पढाई और सेहत को नुकसान पहुचाता है।
बाल संरक्षण अधिकारी अजित कुमार ने लोगो को सरकार द्वारा चलायी जाने वाली जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे मे विस्तार पूर्वक जानकारी दी एवं उनका लाभ लेने के तरीकों के बारे मे बताया। प्रमुख योजनाएँ जैसे- मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना, कन्या सुमंगला योजना आदि। श्रम परिवर्तन अधिकारी महन्त प्रजापति ने कहा कि बाल श्रम बच्चो के शारीरिक एवं मानसिक विकास को अवरूद्व करता है। यह बच्चों को स्कूली शिक्षा पूरी करने से रोकता है।
एडीएम अरूण कुमार गोंड ने बताया कि बाल विवाह भारत के विभिन्न हिस्सों मे लंबे समय से चली आ रही कुप्रथा है जो कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत गैरकानूनी भी है, फिर भी कई जगहों पर यह कुप्रथा जारी है। ग्रामीण क्षे़त्रों और सामाजिक रूप से पिछडे इलाकों मे यह समस्या अधिक गंभीर है। स्कूल छोडना, गरीबी और सांस्कृतिक धाराणएं बाल विवाह का प्रमुख कारण है। बच्चों के भविष्य में इसका नकारात्मक प्रभाव पडता है। यह उनका शैक्षिक एवं मानसिक विकास को रोकता है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने स्कूलों की निगरानी करके ऐसे बच्चों की पहचान की जो बिना बताए सबसे अधिक अनुपस्थित रहते है। ऐसे बच्चे के बाल विवाह का षिकार होने की सम्भावना सबसे अधिक रहती है। इसे रोकने के लिए बच्चों को स्कूल में पुनः प्रवेश दिलाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है।
अपर जिला जज/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव पूर्णिमा प्रांजल ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज मे विभिन्न कुरीतियां व्याप्त है इनमे से बाल विवाह वो अपराध है जिसने सदियों से हमारे समाज को जकड़ रखा है। लेकिन नागरिक, समाज और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता और प्रयास जल्द ही एक ऐसे माहौल और तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेंगे जहां बच्चों के लिए ज्यादा सुरक्षित और निरापद वातावरण होगा। इन दोनों द्वारा साथ मिल कर उठाए गए कदमों और लागू किए गए कानूनों के साथ समाज व समुदाय की भागीदारी 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत सुनिश्चित करेगी।
बाल कल्याण संरक्षण समिति के अध्यक्ष कमलेश कुमार ने कहा कि बाल अधिकार से संबंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों का दायित्व बाल कल्याण समिति के ऊपर है जिसमे से बाल विवाह जैसी कुप्रथा को भी समाप्त करने के लिए बाल कल्याण संरक्षण समिति हर समय सक्रिय रहती है । बाल विवाह संबंधी सूचना देने हेतु टोल फ्री हेल्प लाइन नम्बर सरकार द्वारा 1098, 112 तथा महिला हेल्प लाइन 1090 तथा संस्था प्रमुख महोदय के नम्बर 9450223899 पर सूचित किया जा सकता है। सूचना देने वाले की जानकारी गोपनीय रखी जाती है तथा इस वर्ष जिले मे 12 बाल विवाह रोके गये हैं जिसमे से 3 पर कानूनी कार्यवाही करते हुए सुसंगत धाराओं मे एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गई है।
मो0 रेहान सदस्य किशोर न्याय बोर्ड ने अपने सम्बोधन मे कहा कि अकेले उत्तर प्रदेष 5 लाख से अधिक बच्चों पर बाल विवाह का खतरा मंडरा रहा है। पूरे देश में 20 से 24 आयु वर्ग के बीच की 23.3 प्रतिशत युवतियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया था, जबकि कौशाम्बी जनपद में 17.6 प्रतिशत युवितियो का विवाह 18 वर्ष से पहले हो गया था।
संस्था के सचिव शंकर दयाल ने कहा कि साल 2022 मे जो आंदोलन बाल विवाह के खिलाफ शुरू हुआ वह धीरे धीरे एक बडी मुहिम बन गया है, देशभर के संगठनो और सामाजिक कार्यकर्ताओ ने इस मुहिम को 200 से ज्यादा जिलों तक पुहुचाया है। इस अभियान का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत मे बाल विवाह को खत्म कर दिया जाए जो अभी करीब 23.3 प्रतिशत है। इस अभियान की सबसे बडी ताकत है लोगो को जागरूक करना और साथ ही कानूनी कार्यवाई सुनिश्चित करना इस दोतरफा रणनीति से बडे बदलाव दिखे है ।
जस्ट राइट फाॅर चिल्डेन एलाएसं नेटवर्क ने देशभर मे करीब 2 लाख बाल विवाह रूकवाए हैं ,यह दिखाता है कि जब सरकार और समाज मिलकर काम करते हैं तो गहरा असर पडता है और परिणाम तुरंत दिखता है ,इस अभियान का सपना है कि एक ऐसा भारत बने जहाॅ कोई भी बच्चा कम उम्र में या जबरदस्ती शादी के बोझ तले न दबे, इस अभियान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए समाज सरकार के साथ साथ धर्मगुरूओं को बाल विवाह के रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत है।
कार्यक्रम के अन्त मे जिला कार्यक्रम अधिकारी मंताशा बानो ने लोगो को बाल विवाह ना करने तथा समाज मे इसकी जानकारी होने पर सूचित करने के लिए शपथ दिलायी।