मां – बाप के रिश्तों में खटास बच्चों को बना रही मनोरोगी- डॉ० नूपुर प्रिया पांडेय

बाराबंकी,

मां – बाप के रिश्तों में खटास बच्चों को बना रही मनोरोगी- डॉ० नूपुर प्रिया पांडेय ( मनो चिकित्सक)

बाराबंकी से दिलीप कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट..

वर्तमान परिवेश मे भाग दौड़ की चकाचौंध जिंदगी में बच्चों को अपने मां-बाप का प्यार दुलार नहीं मिल पा रहा है, जो उनका हक व अधिकार है। वर्तमान परिस्थितियों में आज मां बाप दोनों मिलकर अधिक से अधिक पैसा कमाने के चक्कर में मां-बाप बच्चों को दाई, केयरटेकर एवं प्ले स्कूलों में छोड़कर उनका पालन पोषण कर रहे हैं, जिसके कारण बच्चे मनोरोगी होते जा रहे हैं। इन्हीं सब सवालों के साथ दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने जिला अस्पताल बाराबंकी में तैनात मनोचिकित्सक डॉ० नूपुर प्रिया पाण्डेय से मुलाकात कर बच्चों में बढ़ रहे मनोरोग के

कारण और निवारण पर इस संबंध में उनसे खास बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मनोरोग का शिकार बच्चों के लिए दवा के साथ खुशनुमा परिवार का वातावरण ठीक करने की प्रक्रिया है। खास मुलाकात में  उन्होंने बताया कि पारिवारिक माहौल और रिश्तों को ठीक किए बिना इलाज संभव नहीं है।

उन्होंने बताया कि मां-बाप के बीच अगर रिश्तों में खटास है, दोनों में मरपीट होती है या फिर कलह और शक की गुंजाइश है तो इसका बेहद बुरा असर बच्चों पर पड़ता है, ऐसे बच्चे छोटी उम्र में ही मनोरोग के शिकार हो जाते हैं।

मनोचिकित्साक डॉ० नूपुर प्रिया बताती है कि अस्पतालों मे बढ़ रही ऐसे बच्चों की संख्या के पीछे यही कारण सामने आ रहे है। मनोचिकित्सक ऐसी परिस्थितियों में बच्चों का इलाज तो कर रहे हैं, लेकिन बच्चों में सुधार की प्रगति काफी धीमी होने से चिंता भी जाहिर कर रहे हैं।

मनोरोग चिकित्सक डॉ. नूपुर प्रिया कहती हैं कि बिगड़े पारिवारिक माहौल का बच्चों के नाजुक दिमाग पर गहरा असर पड़ता है,खासकर ऐसा एकल परिवार होने की दशा में देखने को ज्यादा मिल रहा है,हालांकि कई मामले अनुवांशिक कारणों से भी होते हैं,बहरहाल हालिया परिदृश्य में मां-बाप के बीच खटपट और मारपीट की घटनाओं के कारण बच्चों के मनोरोगी होने के कारण ज्यादा हैं।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor