कौशाम्बी:कौशाम्बी में शीत लहर के दृष्टिगत सीएमओ ने की एडवाइजरी जारी,ऐसे करे ठंड से बचाव,
यूपी के कौशाम्बी सीएमओ डाॅ. संजय कुमार ने शीत लहर के दृष्टिगत जनमानस को सचेत करने एवं बचाव संबंधी एडवाइजरी जारी किया है। शीत लहर एक मौसम संबंधी घटना है,जो सतह के पास हवा के तापमान में तेज गिरावट के कारण होती है, जिसके कारण निम्न गतिविधियां उत्पन्न होती हैं जैसे-तापमान का अत्यंत न्यूनतम हो जाना, वायुदाब में तीव्र वृद्धि एवं हवा की गति का मजबूत होना आदि है।
शीत लहर की परिभाषा
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार मैदानी इलाकों में जब किसी स्टेशन का न्यूनतम तापमान 10° c या उससे कम हैं, कोई भी मानदंड पूरा करते हैं। शीत लहर जब न्यूनतम तापमान 4° c से कम हो एवं गम्भीर शीत लहर जब न्यूनतम तापमान 2°c से कम हो। शीत लहर (नवंबर से मार्च) दिसंबर एवं जनवरी में अधिकतम शीत लहर होती है।
शीत लहर का स्वास्थ्य पर प्रभाव
यदि सावधानी न बरती जाय तो अत्यधिक ठंड से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव और मृत्यु भी हो सकती है। तीव्र शीत लहर के संपर्क में आने से हाइपोथर्मिया जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
हाइपोथर्मिया
यह बहुत ठंडे तापमान में लंबे समय तक रहने के कारण होता है, जहां शरीर की गर्मी,उसके उत्पादन की तुलना में तेजी से कम होने लगती है। शरीर स्वयं को गर्मी प्रदान करने के लिए अपनी संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग करता है, जिससे शरीर का तापमान और कम होता चला जाता हैं। हाइपोथर्मिया एक चिकित्सीय आपात स्थिति है, जिसमें शरीर का आंतरिक तापमान 95° F (35° c) से नीचे चला जाता है। शरीर का बहुत कम तापमान मस्तिष्क को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति स्पष्ट रूप से सोचने या कोई अन्य गतिविधि करने में असमर्थ हो जाता है। यह हाइपोथर्मिया को विशेष रूप से जानलेवा बनाता है। यदि किसी व्यक्ति का शारीरिक तापमान बारिश में भीगने के कारण, पसीना या ठंडे पानी में डूबने के कारण कम हो जाता है, तो वातावरण के कम ठंडे तापमान के बावजूद व्यक्ति जानलेवा हाइपोथर्मिया का शिकार हो सकता है।
हाइपोथर्मिया होने की सबसे अधिक प्रवृति
वृद्ध व वयस्क जिनके पास अपर्याप्त भोजन, कपडे, या गर्मी प्रदान करने वाले साधन न हो, ठंडे शयनकक्ष में सोने वाले शिशु, लंबे समय तक बाहर रहने वाले लोग जैसे-बेघर, पैदल यात्री, शिकारी एवं शराब या अवैध दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्ति।
हाईपोथर्मिया के लक्षण
वयस्क व्यक्ति में ठण्ड से कांपना,थकावट या बहुत अधिक थकान महसूस होना, भ्रम होना, स्मरणशक्ति की कमी, अस्पष्ट उच्चारण करना एवं सुस्ती व अधिक नींद आना आदि।
शिशु में चमकदार लाल व ठंडी त्वचा एवं ऊर्जा की कमी आदि। ऐसे लक्षणों से ग्रसित किसी भी व्यक्ति को तुरंत निकटतम चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है।
हाइपोथर्मिया में प्राथमिक चिकित्सा
व्यक्ति को गर्म कमरे या आश्रय में ले जाएं और कपड़े बदलें, गीले कपड़े तुरंत हटा दें। व्यक्ति के शरीर को कंबल, कपड़े, तौलिये या चादर की सूखी परतों से गर्म करें। शरीर का तापमान बढ़ जाने में मदद के लिए गर्म पेय पदार्थ दें, लेकिन मादक पेय न दें। किसी बेहोश व्यक्ति को पेय पदार्थ न दें। शरीर का तापमान बढने के बाद व्यक्ति को सूखा रखें और उसके सिर और गर्दन सहित शरीर को गर्म कम्बल में लपेट दें। जितनी जल्दी हो सकें,व्यक्ति को उचित चिकित्सा सहायता दिलाएं। गंभीर हाइपोथर्मिया से पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो सकता है और उसकी नाड़ी चल ही नहीं सकती या सांस लेने की अवस्था में नहीं हो सकता हैं, उस स्थिति में व्यक्ति को सावधानीपूर्वक संभालें और तुरंत आपातकालीन सहायता उपलब्ध करायें।








