यूपी में बीजेपी,कांग्रेस,सपा,बसपा दमखम के साथ लड़ेगी निकाय चुनाव,पार्टियां अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुटी

उत्तर प्रदेश,

यूपी में बीजेपी,कांग्रेस,सपा,बसपा दमखम के साथ लड़ेगी निकाय चुनाव,पार्टियां अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुटी,

यूपी में तीन सीटों पर उपचुनावों के बीच निकाय चुनावों की तैयारी और रणनीति में सभी पार्टियां जोरशोर से जुट गई हैं दिसंबर महीने में यूपी में निकाय चुनाव होने है,वही बीजेपी सहित सभी पार्टियां 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रही है।निकाय चुनाव को कोई भी पार्टी हल्के में नहीं ले रही है। यहां तक कि बसपा ने भी अपने सिंबल पर ही मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। भाजपा-सपा और कांग्रेस ने प्रभारियों की तैनाती करके टिकट के दावेदारों को टटोलना भी शुरू कर दिया है।

ओपी राजभर की सुभासपा और शिवपाल की प्रसपा भी निकाय चुनाव में अपना दबदबा आंकने की तैयारी में जुटी हुई है। आम आदमी पार्टी ने भी निकाय चुनाव को दमदारी से लड़ने का मूड बनाया है।चुनाव को लेकर फिलहाल सीटों के आरक्षण पर शासन-प्रशासन माथापच्ची में जुटा हुआ है। बुधवार तक प्रदेश के 53 जिलों में वार्ड आरक्षण का काम पूरा हो चुका था। शेष बचे 22 जिलों ने शासन को जल्द प्रस्ताव उपलब्ध कराने की बात कही है। नगर विकास विभाग जिलों से आए आरक्षण के प्रस्तावों को अंतिम रूप दे रहा है, जिससे इनके अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया शुरू करा दी जाए।

भाजपा निकाय चुनावों में इस बार नई रणनीति के साथ उतरने जा रही है। पहला मौका होगा जब भाजपा मुस्लिम चेहरों पर दांव लगा सकती है। ऐसा करने के लिए पार्टी सिंबल और समर्थन दोनों विकल्पों पर विचार कर रही है। पसमांदा मुस्लिमों को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा यह दांव खेलने की तैयारी में है। इसे आगामी लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के नए प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है। वैसे तो आरएसएस ने काफी पहले ही पसमांदा मुस्लिमों के बीच काम करना शुरू कर दिया था लेकिन अब भाजपा भी इस मुद्दे को लेकर मुखर है। हाल ही में पसमांदा मुस्लिमों के कई सम्मेलन भी पार्टी ने किए हैं। पार्टी इस दांव के जरिए मुस्लिमों में विकास की दौड़ में पिछड़े बड़े तबके को अपनी ओर खींचना चाहती है।मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर पसमांदा मुस्लिमों पर ही भाजपा दांव लगाने की तैयारी में है। तमाम जगहों पर पार्टी अपने सिंबल पर मुस्लिमों को प्रत्याशी बना सकती है तो दूसरी ओर जहां ऐसी स्थिति न बन सके तो वहां कुछ मुस्लिम चेहरों को समर्थन भी दिया जा सकता है। पार्टी यह प्रयोग उन इलाकों में करेगी, जहां मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं और पहले कभी भाजपा वहां जीत हासिल नहीं कर सकी है। पार्टी का यह नया प्रयोग निकाय चुनाव में सफल हुआ तो इसका लाभ उसे आगामी लोकसभा चुनावों में भी मिल सकता है।

लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह ही समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल मिलकर निकाय चुनाव लड़ेंगे। दोनों पार्टियां आपस में सामंजस्य बैठाते हुए उम्मीदवार तय करेंगी। इसके आधार पर निकाय चुनाव के लिए पश्चिमी यूपी में उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर एक कमेटी भी बनाई गई है। कमेटी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल के साथ समन्वय और प्रत्याशियों के चयन का काम करेगी।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भी साफ कर दिया है कि वह पूरे यूपी में निकाय चुनाव लड़ेंगे। वह भले ही सपा के टिकट पर विधायक हैं लेकिन समाजवादी पार्टी से उनका रार-तकरार किसी से छिपा नहीं है।

अखिलेश ने उन्हें स्वतंत्र भी करते हुए अपनी पार्टी पर काम करने की पिछले दिनों नसीहत भी दी थी। पिछले दिनों गोरखपुर में शिवपाल ने साफ किया कि प्रसपा नगर निकाय चुनाव को पूरे दमदारी के साथ लड़ेगी। कहा कि प्रसपा नगर पंचायत और नगर निगम दोनों चुनाव लड़ेगी।कांग्रेस ने भले ही उपचुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी हो लेकिन निकाय चुनाव पर उसका पूरा जोर है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने साफ किया कि पार्टी का जोर नगर निकाय चुनाव पर है।कहा कि पार्टी निकाय चुनाव के लिए मजबूती से तैयारी कर रही है। इसके लिए हर वार्ड व निकाय के लिए रणनीति पर काम हो रहा है।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor