कौशाम्बी,
अलविदा नमाज़ के बाद शिया मस्जिद के बाहर किया गया आतंक के विरोध में क़ुद्स दिवस पर प्रदर्शन,
रमज़ान करीम के आखिरी जुमे को इस्लामिक रूप से अलविदा जुमा के रूप जाना जाता है।मुस्लिम समाज में अलविदा जुमा का बहुत ही महत्व है।मुसलमान के सभी समुदायों के लोग मस्जिदों में जाकर यह नमाज़ अदा करते हैं।जहां जुमे की नमाज़ में लोग दुवाएं मांगते हुए नज़र आते हैं जो जुमे की नमाज़ अदा करने के बाद शिया समुदाय के लोग क़ुद्स दिवस भी मनाते हैं।शिया बहुल देश फिलिस्तीन पर इज़राईल और अमेरिका जैसे आतंकी देश आतंकवाद फ़ैलाकर बैतुल मुकद्दस पर अपना कब्ज़ा करने की नापाक हरकत का विरोध जताते हुए यह क़ुद्स दिवस मनाया जाता है।कौशाम्बी जिले के नगर पंचायत दारानगर की शिया जामा मस्जिद में जुमातुल विदा के बाद एक जुलूस आतंक के खिलाफ निकाला गया।अमेरिका की नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने वाले हरबरे मोअज़ज़्म आयतुल्ला खुमैनी, आयतुल्ला, सीस्तानी, आयतुल्ला ख़ामेनेई और शहीद जर्नल क़ासिम अल सुलेमानी की तस्वीरों को लेकर यह क़ुद्स दिवस शिया समुदाय ने दारानगर की कब्रिस्तान इलाके में किया।
जिसमें इमामे जुमा वा जमात मौलाना आरिफ़ हैदर नक़वी साहब ने क़ुद्स के महत्व पर प्रकाश डाला।इस मौके पर सैकड़ों लोग शामिल थे और सुरक्षा के मद्देनजर कड़ाधाम पुलिस भी मौजूद रही है।