विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में बिजली विभाग कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन,प्रदर्शन के एक साल पूरे होने पर बैठक कर बनाई संघर्ष की रणनीति

कौशाम्बी:विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में बिजली विभाग कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन,प्रदर्शन के एक साल पूरे होने पर बैठक कर बनाई संघर्ष की रणनीति,

यूपी के कौशाम्बी जिले में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में बिजली के निजीकरण और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के विरोध में संघर्ष का एक साल पूरा होने पर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया है।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन का एक साल पूरा होने पर विद्युत वितरण खंड भरवारी में बिजली कर्मियों ने बैठक कर निजीकरण और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 का जोरदार विरोध किया।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को प्रदेश के सभी जनपदों में बिजली कर्मियों ने लगातार 365 वें दिन विरोध प्रदर्शन जारी रखा। अन्य प्रांतों की राजधानियों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन कर उप्र में चल रहे बिजली के निजीकरण के निर्णय को निरस्त करने की मांग की। बिजली कर्मियों की अन्य प्रमुख मांग थी कि संपूर्ण पॉवर सेक्टर का निजीकरण हेतु लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 को तत्काल वापस लिया जाय।

संघर्ष समिति के जिला सह संयोजक गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि निजीकरण के विरोध में आज पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय वाराणसी और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय आगरा में तथा राजधानी लखनऊ में विशेष तौर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया। इसी क्रम में कौशाम्बी जिले के विद्युत वितरण खंड भरवारी में भी प्रदर्शन किया गया है।

विरोध प्रदर्शन सभा में बिजली कर्मियों ने एक साल के सतत संघर्ष के क्रम में संकल्प लिया गया कि जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और आंदोलन के चलते बिजली कर्मियों पर की गई समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस नहीं ली जाती तब तक लगातार आंदोलन जारी रखेंगे।

संघर्ष समिति ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा एक वर्ष पूर्व घाटे के गलत आंकड़ों के आधार पर लिया गया था। संघर्ष समिति प्रारंभ से ही यह दावा करती रही है की सब्सिडी और सरकारी विभागों के सरकारी बकाया की धनराशि दे दी जाए तो विद्युत वितरण निगम घाटे में नहीं है। विद्युत नियामक आयोग ने संघर्ष समिति के इस दावे पर यह कहकर मोहर लगा दी है कि 01 अप्रैल 2025 को विद्युत वितरण निगमों के पास 18925 करोड रुपए सरप्लस था। इसी आधार पर बिजली के टैरिफ में वृद्धि नहीं की गई है।

संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे के झूठे आंकड़े देने के अलावा पावर कार्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण के लिए बड़े पैमाने पर बिजली कर्मियों पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाईयां कर रहा है।संघर्ष समिति ने बताया कि विगत एक वर्ष में 25000 से अधिक अत्यंत अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मियों को आंदोलन के चलते निकाल दिया गया है। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर महीनों तक हजारों बिजली कर्मियों का वेतन रोक कर रखा गया। हजारों बिजली कर्मचारियों को जिसमें बड़े पैमाने पर महिलाएं भी सम्मिलित थी,दूरस्थ स्थानों पर केवल इसलिए ट्रांसफर किया गया क्योंकि वे संघर्ष समिति की बैठक में आ रही थी। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों पर डिस्प्रोपोर्सनेट एसेट के मामले में झूठी एफआईआर कराई गई। कार्यालय समय के उपरांत पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का बहिष्कार करने वाले 87 विद्युत अभियंताओं को चार्ज शीट दी गई और उनका प्रमोशन रोक दिया गया है। मार्च 2023 के आंदोलन के फलस्वरूप बिजली कर्मियों पर की गई उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बावजूद वापस नहीं ली गई है।

संघर्ष समिति ने बताया की बिजली कर्मियों की रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने की दृष्टि से जबरदस्ती बिजली कर्मियों और पेंशनरों के घरों पर प्रीपेड मीटर लगाया जा रहे हैं।संघर्ष समिति ने कहा कि इन सब यातनाओं के बावजूद बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर पिछले एक वर्ष से लगातार संघर्षरत है और सड़कों पर उतर रहे हैं।

संघर्ष समिति का निर्णय है कि जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाही समाप्त नहीं की जाती तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

इस प्रदर्शन के दौरान विद्युत वितरण खंड भरवारी SDO के एल यादव, JE एन एल यादव, राहुल त्रिपाठी, योगेन्द्र सिंह, संरक्षक भरवारी लाल जी ,उत्तम शुक्ला चायल उप खंड अधिकारी, JE मूरतगंज अजीत जयसवाल सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor