कौशाम्बी,
जिला अस्पताल में मानवता हुई शर्मशार,मासूम के शव को लेकर शव वाहन के लिए घंटो भटकता रहा पिता,
यूपी के कौशाम्बी जिला अस्पताल में शनिवार को एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है। जिला अस्पताल के डाक्टर ने तीन हजार लेकर मासूम का ऑपरेशन किया लेकिन मासूम की मौत हो गई तो उसे तुरंत बाहर निकाल दिया। शव को लेकर पिता शव वाहन के लिए तीन घंटे तक जिला अस्पताल परिसर में भटकता रहा। मीडियाकर्मियों के पहुंचने के बाद जिला अस्पताल प्रशासन ने शव वाहन मुहैया कराया तो वह मासूम बच्चे का शव लेकर अपने घर चला गया।जानकारी के मुताबिक चित्रकूट जनपद के रैपुरा के करौंधी कला निवासी रामलाल के बेटे दीपांशु (5) के सीने में फोड़ा था। तीन दिन पहले रामलाल अपने बेटे को लेकर कौशाम्बी जिला अस्पताल आए। डॉक्टरों ने जांच की इसके बाद एक सर्जन ने ऑपरेशन करने के लिए तीन हजार रुपये मांगे। आरोप है कि शुक्रवार को तीन हजार रुपये लेने के बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन किया। शनिवार को अचानक मासूम की तबीयत बिगड़ गई,जब तक परिजन व वार्ड का स्टाफ कुछ समझ पाता, मासूम ने दम तोड़ दिया। मौत के बाद मासूम बच्चे के शव को बाहर निकाल दिया गया। रामलाल बेटे का शव गोद में लिए इधर-उधर भटकता रहा। कई बार उसने जिला अस्पताल प्रशासन से शव वाहन के लिए मिन्नते की, लेकिन कोई भी नही पसीजा और टालमटोल कर भगा दिया गया। करीब वह तीन घंटे तक बेटे का शव गोद में लिए रोते हुए इधर से उधर भागता रहा। उसकी आंखों का आंसू देखकर अस्पताल में मौजूद लोग भी गमजदा हो गए थे, लेकिन अस्पताल के जिम्मेदार नहीं पसीजे। सभी लोग इस पूरे मामले से पीछा छुड़ाना चाह रहे थे। मीडियाकर्मी पहुंचे तो रामलाल को नई बिल्डिंग की ओर से बुलाया गया। करीब दो सौ मीटर दूर बुलाकर उसको शव वाहन में बैठाकर चित्रकूट ले जाया गया।दीपांशु की मौत के बाद पिता रामलाल बिलख रहे थे। रामलाल जिला अस्पताल में चीख-चीख कर यही कह रहे थे कि जब तक तीन हजार रुपये नहीं दिया, तब तक ऑपरेशन नहीं किया गया। इसके बाद देखरेख में लापरवाही की गई ,जिससे मेरे बेटे की जान चली गई। मौत के बाद भी रहम नहीं आया। शव वाहन नहीं दिया जा रहा था। कभी किसी के पास भेजा जाता तो कभी किसी के पास। तीन घंटे बाद शव वाहन मिला तो वह शव लेकर घर गया।