कौशाम्बी जिला अस्पताल में लाइट न रहने पर बंद रहते हैं वेंटिलेटर,कोविड के दौरान मरीजों को होगी समस्या

कौशाम्बी,

कौशाम्बी जिला अस्पताल में लाइट न रहने पर बंद रहते हैं वेंटिलेटर,कोविड के दौरान मरीजों को होगी समस्या,

यूपी के कौशाम्बी जिले में पीएम केयर फंड से जिला अस्पताल में लगे 10 वेंटिलेटर लाइट न होने पर बंद रहते हैं, ऐसे में साफ जाहिर है, यदि कोरोना का नया वैरियंट बीएफ-7 का प्रकोप बढ़ा तो स्वास्थ्य विभाग मरीजों की जान कैसे बचाएगा,वहीं स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कोरोना के दोनों वेब में मरीजों का बेहतर इलाज देकर जान बचाई गई थी, कोरोना से ग्रसित मरीजों को भरपूर ऑक्सीजन भी दी गई थी, आने वाले दिनों में भी कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है।

कौशाम्बी में लोगों की सड़क दुर्घटना या फिर अन्य किसी वजह से वेंटिलेटर के अभाव में मौत ना हो, इसके लिए सांसद विनोद सोनकर ने सरकार से वेंटिलेटर की मांग की थी। सरकार ने पीएम केयर फंड से वेंटिलेटर स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराया गया,शुरुआती दौर में अस्पताल में वेंटिलेटर के रखरखाव के इंतजाम नहीं थे। ऐसे में वेंटिलेटर को कूड़े के ढेर सरीखे रखा गया था।

कोविड के दौरान खबरे चली तो स्वास्थ्य विभाग ने वेंटिलेटर का रखरखाव बढ़िया कर दिया था, इसके बाद जब ऑक्सीजन प्लांट लगा तो फिर वेंटिलेटर का संचालन और भी अच्छे तरीके से शुरु हो गया। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए वेंटिलेटर को बच्चों की जान बचाने के लिए तैयार किया गया था। हालांकि कोरोना की तीसरी लहर का कुछ खास असर नहीं हुआ। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने 10 वेंटिलेटर को बच्चों के लिए आरक्षित पीकू वार्ड में लगवा दिया।

लेकिन इन दिनों वेंटिलेटर की हाल फिर वैसा ही हो गया, लाइट ना होने पर सभी वेंटिलेटर नहीं चल रहे हैं, संयुक्त जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपक सेठ ने बताया कि कोरोना के पिछले दोनों वर्षों में हम लोगों ने मरीजों की काफी हद तक जान बचाई है। ऑक्सीजन भी लगाया गया था और बेहतर इलाज भी किया गया था। कोरोना की पहली वेव एवं दूसरी वेब में पर्याप्त दवाएं भी उपलब्ध थी। हमारी अस्पताल में रहने की व्यवस्था के अलावा जांच की भी व्यवस्था उपलब्ध है। वेंटिलेटर की व्यवस्था जिला अस्पताल में पर्याप्त है।सभी वेंटीलेटर को बच्चों के मोड में व्यवस्थित कर पीकू वार्ड में रख दिया गया था, क्योंकि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई गई थी। बच्चों को घातक बीमारी होने की संभावना थी। अब बड़ों को हो रहा है तो उसे जनरल मोड में कर दिया जाएगा। हमारे यहां ऑक्सीजन एवं वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था है। पिछली दफा लगभग साढ़े सात सौ मरीजों का इलाज किया गया था।

 

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor