भिखारी मुक्त करने की सरकारी मंशा के प्रति गंभीर नहीं है डीजीपी मुख्यालय : उर्वशी शर्मा

उत्तर प्रदेश,

भिखारी मुक्त करने की सरकारी मंशा के प्रति गंभीर नहीं है डीजीपी मुख्यालय : उर्वशी शर्मा,

न्यूज ऑफ इंडिया ( एजेन्सी)

भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के सपनों की राह देश में सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है, 5 साल में यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए योगी सरकार मेगा प्लान भी बना रही है जिसके तहत नीति निर्माता रोड मैप तैयार करने के लिए तत्परता से काम कर रहे हैं,इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के वाणिज्यिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों, परंपराओं तथा विविधताओं में नई संभावनाओं को तलाशकर शहरों को स्मार्ट बनाया जा रहा है।

योगी सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि देशवासियों की जीवन शैली बेहतर और सुगम बनाने, जनता को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने जैसे अनेकों मकसदों से बनाये गए स्मार्ट सिटी मिशन में देश के राज्यों की रैंकिंग में यूपी को पहला स्थान मिला है जहाँ स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 17 जिलों को चमकाया जा रहा है लेकिन यूपी के शहरों के प्रमुख चौराहों और पर्यटक स्थलों पर भीख मांगते भिखारी सरकार की इन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के रास्तों का रोड़ा बन रहे हैं और देश विदेश में सूबे की छवि खराब कर रहे है।

वैसे तो भिक्षावृत्ति कानूनन अपराध है लेकिन जिलों के प्रशासन और पुलिस महकमे के ढुलमुल रवैये के कारण शहरों में भिखारी एक सिंडीकेट की तरह काम कर रहे हैं और यूपी को भिखारीमुक्त करने की सरकारी मंशा को मुंह चिढाते नज़र आ रहे हैं।

भिखारियों की बेजा हरकतों से आम जनता भले ही त्रस्त हो लेकिन सूबे का पुलिस महकमा इस ज्वलंत समस्या पर आँखें मूंदे बैठा है,इस बात का खुलासा सूबे की राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम क्षेत्र निवासी समाजसेविका और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा की आरटीआई पर सूबे के पुलिस महानिदेशक मुख्यालय के जनसूचना अधिकारी द्वारा दिए गए जवाब से हुआ है पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के आरटीआई प्रकोष्ठ की प्रदेश उप प्रभारी रह चुकी उर्वशी ने मीडिया रिलीज़ जारी करते हुए बताया हैं कि वे उत्तर प्रदेश की छवि खराब कर रहे भिखारियों को पुनर्वासित कराने और सूबे को पेशेवर भिखारियों के सिंडीकेट से निजात दिलाने के मुद्दे पर काम कर रही हैं जिसके लिए वे सूबे के समाज कल्याण विभाग, नगर विकास विभाग , प्रशासनिक अमले और पुलिस महकमे के माध्यम से मोदी-योगी की महत्वकांक्षी परियोजनाओं का चेहरा दागदार कर रही भिखारियों की फौज से निजात दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

दरअसल इस सिलसिले में उर्वशी ने सूबे के पुलिस महानिदेशक मुख्यालय में एक आरटीआई दायर करके डीजीपी ऑफिस के स्तर से भिखारियों के मुद्दे पर साल 2017 से अब तक की गई कार्यवाहियों आदि के सम्बन्ध में 15 बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी. पुलिस महानिदेशक मुख्यालय के जनसूचना अधिकारी ने उर्वशी को जो जवाब दिया है उससे यह बात सीधे-सीधे सामने आ रही है कि इस गंभीर समस्या के प्रति डीजीपी ऑफिस कतई भी गंभीर नहीं है और पुलिस महकमे के सबसे बड़े ऑफिस के पास उत्तर प्रदेश भिक्षावृत्ति प्रतिषेध अधिनियम के तहत पुलिस महकमे द्वारा की गई कार्यवाहियों, स्वैच्छिक,व्यवसायिक,जबरन / बलात कराई जा रही भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए पुलिस महकमे द्वारा की गई कार्यवाहियों,पुलिस महकमे द्वारा पुनर्वास के लिए भेजे गए भिक्षुकों की संख्या ,पुलिस महकमे द्वारा स्कूल भेजे गए बच्चा भिखारियों की संख्या और भिखारियों की संख्या जैसी कोई भी सूचना नहीं है।

डीजीपी ऑफिस ने उर्वशी को साफ-साफ लिखकर दिया है कि सूबे के 75 जनपदों से सम्बंधित यह सूचना मुख्यालय पर धारित नहीं है।पूरे सूबे की छवि खराब कर रही इस ज्वलंत समस्या के प्रति पुलिस मुख्यालय के इस उदासीन रवैये पर सार्वजनिक रोष व्यक्त करते हुए उर्वशी ने इस मामले में सूबे के राज्यपाल और सीएम से व्यक्तिगत भेंट करके भिखारियों के कारण हो रही समस्याओं से सूबे को निजात दिलाने के मुद्दे पर वार्ता करने की बात कही है।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor