NGHRA ने भरवारी के लोगो को रेलवे लाइन पार करने की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन

कौशाम्बी,

NGHRA ने भरवारी के लोगो को रेलवे लाइन पार करने की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन,

यूपी के कौशाम्बी जिले के भरवारी कस्बे की रेलवे क्रासिंग को बंद न करने के लिए नरवाड़े ग्लोबल ह्यूमन राइट असोशिएशन ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट मे प्रदर्शन कर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौपा।

NGHRA संगठन दिल्ली हावड़ा रेलवे लाइन के भरवारी फाटक को बंद किए जाने से बेहद नाराज़ है। संगठन के लोगों का कहना है कि रेल प्रशासन ने भरवारी वासियों की सुविधा को दरकिनार कर जल्द बाज़ी मे रेलवे फाटक बंद करने का तुगलकी फैसला लिया है। भरवारी फाटक के बंद होने से आम आदमी के आवागमन एवं व्यापार प्रभावित हो जाएगा।रेलवे फाटक बंद हो जाने से भरवारी कस्बे की करीब 50 हज़ार से अधिक की आबादी रेलवे के इस फैसले से प्रभावित होगी।

भरवारी कस्बे के लोगों की मुस्किले 31 जनवरी से बढ़ने वाली है। NCR रेलवे प्रशासन ने दिल्ली हावड़ा रेलवे क्रासिंग भरवारी फाटक को बंद करने का फैसला लिया है। बताया जा है कि फाटक बंद हो जाने के बाद भरवारी की करीब 50 हज़ार से अधिक की आबादी का रेलवे लाइन पार कर आना जाना प्रभावित हो जाएगा। इसके अलावा कस्बे की पुरानी व नई बाज़ार का व्यापार पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। नार्थ सेंट्रल रेलवे के फैसले के बाद से कस्बे के लोग सहमे हुए है।

NGHRA ने मंगलवार को भरवारी कस्बे के लोगो की समस्या को मानव अधिकार का हनन बता कर रेल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। डायत मैदान से कलेक्ट्रेट के बीच मार्च निकाल कर संगठन के लोगो ने अपनी मांग पत्र का ज्ञापन रेल मंत्रालय को जिला प्रशासन के जरिये भेजा। अतिरिक्त मजिस्ट्रेट ने संगठन के नेताओं से ज्ञापन लेकर जल्द से जल्द समस्या को रेल मंत्रालय भेजने की बात कही है।

संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रोहित वैश्य ने बताया कि भरवारी के रेलवे फाटक को बिना किसी वैकल्पिक आवागमन की व्यवस्था के बंद किया जाना रेलवे का तुगलकी फैसला है। संगठन इसका पुरजोर तरीके से विरोध करता है। वह मांग करते है कि भरवारी कस्बे के लोगों की जन सुविधा एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के हित को ध्यान मे रखकर रेलवे क्रॉसिंग बंद करने के फैसले मे विचार करे। अन्यथा कस्बे के लोगो के सामने आवागमन के साथ जीविका का संकट खड़ा हो जाएगा।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor