कौशाम्बी
इतिहास में कौशाम्बी बेहद समृद्ध रहा है। इसकी पहचान दिलाने के लिए जरूरी है कि यहां की ऐतिहासिक धरोहरों को लोगों के सामने लाया जाए। तीर्थक्षेत्र कौशाम्बी में ह्वेनसांग के वृत्तांत के अनुसार हर वह वस्तु मिल चुकी है। जिसका उन्होंने वर्णन किया है, केवल चंदन की मूर्ति नहीं मिली। जिसे साक्षात गौतम बुद्ध को देखकर राजा उदयन ने चंदन की लकड़ी में बनवाया था। इसकी खोज पुरातत्व विभाग को करना चाहिए।यह बातें स्वदेशी जागरण मंच के प्रांत संघर्ष वाहिनी प्रमुख डा. सुरेश नागर चौधरी ने कही। उन्होंने बताया कि बताया कि छठवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी पुस्तक में कौशाम्बी का वर्णन किया है। उन्होंने ह्वेनसांग की पुस्तकों का हवाला देते हुए दावा किया कि गजगिरि नाम के स्थान की चर्चा उन्होंने कौशाम्बी को लेकर की है। यह स्थान आज भी कौशाम्बी में है। इसे स्थानीय लोग गजगी नाम से जानते हैं। यहां जिन तीन तालाबों की चर्चा हुई है। उसके अवशेष आज भी यहां है। सभी एक दूसरे के सामने हैं। बताया कि ह्वेनसाग ने अपनी पुस्तक में यह भी कहा है कि राजा उदयन ने भगवान बुद्ध को देखकर चंदन की लकड़ियों से एक मूर्ति बनाई थी। इसे खराब होने से बचाने के लिए चमकीली धातु का लेपन किया गया था। यह मूर्ति आज भी कही मौजूद है। यह मूर्ति गजगिरि पर 200 फिट के पत्थर पर स्थापित थी। जो महल के निकट पूर्व- उत्तर में मध्य स्थापित थी। उन्होंने दावा किया कि मूर्ति आज भी है। इससे खोजने की जरूरत है। पुरातत्व विभाग को इसे खोजने के लिए प्रयास करना चाहिए। इतिहास में यह मूर्ति बड़ा बदलाव ला सकती है। इस मौके पर यशराज भट् समेत अन्य लोग मौजूद रहे।