कौशाम्बी,
श्रीमद् भागवत कथा के सुनने से यमराज भी स्पर्श नही करते: राजेंद्र जी महाराज,
यूपी के कौशाम्बी जिले में सिराथू तहसील क्षेत्र के कादीपुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास संत राजेंद्र जी महाराज ने बताया कि श्रीमद् भागवत का प्रारंभ है ज शब्द से होता है और मां शब्द में विश्राम होता है जिसके जीवन में भागवत का श्रवण कर लिया जाता है, उसको फिर यमराज भी कभी स्पर्श नहीं करता।
भागवत की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि वेदव्यास जी महाराज को 17 पुराण की रचना करने के बाद उनके जीवन में शांति नहीं प्राप्त हुई तब विचलित मन से भ्रमण करते-करते नारद जी महाराज के पास पहुंचे, नारद जी ने पूछा कि चिंता का कारण क्या है, तब वेद व्यास जी ने कहा हमने 17 पुराणों की रचना किया, इसके बाद भी हमारे जीवन में शांति नहीं, आप ही कोई हमें उपाय बताएं ।
तब नारद जी महाराज ने कहा कि आपने ब्रह्म पुराण लिखा ब्रह्मा जी के लिए, विष्णु पुराण लिखा विष्णु भगवान के लिए, नारद पुराण लिखा नारद जी के लिए, इसलिए श्रीमद् भागवत पुराण नहीं अपित महापुराण है। श्रीमद् भागवत में किसी का मंगलाचरण नहीं है,सत्यम परम धीमहि शब्द का वेद व्यास जी ने सत्य स्वरूप का वर्णन किया और सत्य से बढ़कर दूसरा कोई धर्म नहीं है।
गोस्वामी जी रामचरितमानस में लिखते हैं, धर्म न दूसर सत्य समाना, आगम निगम पुराण बखाना, राम परम धीमहि कहते राम भक्तों का ग्रंथ हो जाता, कृष्ण परम धीमहि कहते कृष्ण भक्तों का अधिकार पूर्वक ग्रंथ हो जाता, शिवम परम धीमहि कहते शिव भक्तों का ग्रंथ हो जाता है, इसलिए सत्य स्वरूप परमात्मा को प्रणाम करके श्रीमद् भागवत का प्रारंभ किया।
कथा के मुख्य यजमान माता कुसुम देवी सहित बड़ी संख्या में श्रोता गण ने कथा पांडाल में उपस्थित होकर श्रीमद् भागवत कथा का आनंद लिया।कथा पांडाल में क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों के भक्त काफी संख्या में मौजूद रहे ।