कौशाम्बी,
पशु गणना के कार्य से पशुपालन से जुड़ी नीतियों को सुधारने में मिलेंगी मदद,
केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार मत्स्य पशुपालन एवं डेयरी द्वारा 21वीं पशुगणना का शुभारम्भ किया गया। इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य देशभर में पशुओं की सटीक संख्या और प्रजातियों का आंकलन करना है, जो कि न केवल कृषि क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेंगा।
यह जानकारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने देते हुए बताया कि जनपद में इस गणना का कार्य 277851 परिवारों में किया जायेंगा। इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए 130 गणनाकार ग्रामीण क्षेत्रों में और 09 गणनाकार शहरी क्षेत्रों में तैनात किए गयें हैं। गणनाकारों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे सही तरीके से इस कार्य को अंजाम दे सकें।
उन्होंने कहा कि पशुगणना का यह कार्य कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले यह देश में पशुपालन से जुड़ी नीतियों को सुधारने में मदद करेंगा। पशुओं की संख्या और प्रजातियों के आंकड़े हमें यह समझने में मदद करेंगे कि किस प्रकार के पशुपालन की आवश्यकता है और किस दिशा में हमें आगे बढ़ना चाहिए। दूसरे, यह कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होगा। पशुधन हमारे कृषि तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी संख्या और स्वास्थ्य का सही आंकलन हमें बेहतर नीतियाँ बनाने में मदद करेंगा। इसके अलावा पशुपालन से जुड़े उद्योगों के विकास के लिए भी यह गणना एक आधार तैयार करेंगी।
गणना के दौरान सभी गणनाकारों को स्थानीय समुदाय के सहयोग से कार्य करने की अपेक्षा की गई है। हमें विश्वास है कि स्थानीय लोग गणनाकारों के साथ सहयोग करेंगे, जिससे इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकें। इस गणना के माध्यम से हम न केवल आंकड़े एकत्रित करेंगे, बल्कि समुदाय के सदस्यों को भी पशुपालन की महत्वता के बारे में जागरूक करेंगे। गणनाकार पशुओं की संख्या, प्रजाति, उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को एकत्रित करेंगे। इस कार्य में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जिससे आंकड़ों की सटीकता सुनिश्चित हो सके।
गणना के दौरान हम स्थानीय किसानों और पशुपालकों से भी संवाद करेंगे, ताकि उनकी आवश्यकताओं और चुनौतियों को समझा जा सकें। जनपद में यह पशुगणना केवल आंकड़ों का संग्रहण नहीं है, बल्कि यह भविष्य में पशुपालन के क्षेत्र में विकास के नए अवसरों को भी जन्म देगी। यह हमें न केवल हमारी पशुधन की स्थिति को समझने में मदद करेगी, बल्कि हमें भविष्य की नीतियों को आकार देने में भी सक्षम बनाएगी।