खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा पीएमईजीपी योजना के तहत 332 करोड़ रूपये की ऋण राशि एवं 112 करोड़ रूपये की मार्जिन मनी हुई वितरित

उत्तर प्रदेश,

खादी एवं ग्रामोद्योग द्वारा पीएमईजीपी योजना के तहत 332 करोड़ रूपये की ऋण राशि एवं 112 करोड़ रूपये की मार्जिन मनी हुई वितरित,

न्यूज ऑफ़ इंडिया ( एजेंसी)

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ओर कदम बढाते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष मनोज कुमार ने, केवीआईसी द्वारा कार्यान्वित, भारत सरकार की एक रोजगारोन्मुख प्रमुख योजना “प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम” (पीएमईजीपी) के तहत देश के विभिन्न जोन में नये स्वीकृत 3802 प्रोजेक्ट के लाभार्थियों को 332.03 करोड़ रूपये ऋण के परिपेक्ष्य में 111.90 करोड़ रूपये की मार्जिन मनी सब्सिडी का वितरण किया, जिससे 11,000 से भी अधिक लोगों को नये रोजगार उपलब्ध होंगे, जिसमें कि सेंट्रल जोन के अन्तर्गत 1167 लाभार्थियों को 34.20 करोड़ रूपये मार्जिन मनी सब्सिडी शामिल है।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए मनोज कुमार ने कहा कि केवीआईसी पीएमईजीपी योजना के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है एवं विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बहुत ही कम लागत पर दूरदराज के क्षेत्रों में कारीगरों व महिलाओं को उनके द्वार पर रोजगार के साधन पैदा कर सामाजिक रूप से भी सुरक्षा प्रदान कर रहा है। पीएमईजीपी योजना के माध्यम से अभी तक लगभग 8 लाख से अधिक प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए, जिनको कि करीब 21000 करोड़ रूपये से भी अधिक मार्जिन मनी सब्सिडी के रूप में वितरित की गई तथा इन पीएमईजीपी इकाइयों के माध्यम से लगभग 68 लाख से ज्यादा लोगों को देश भर में रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।

केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने पीएमईजीपी योजना के अन्तर्गत उद्यम स्थापित करने वाले लाभार्थियों की सफलता की कामना की तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन कि देश का युवा ’नौकरी मांगने की बजाय नौकरी देने वाला बने” इसे आत्मसात करने की ओर प्रेरित किया, जिससे कि वे एक समृद्ध, मजबूत, आत्मनिर्भर और खुशहाल राष्ट्र बनाने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दे सकें। महात्मा गांधी जी का मानना था कि ’खादी का काम ही ऐसा कार्यक्रम है जो गाँव के आर्थिक उत्थान का साधन होने के साथ-साथ भारत की आर्थिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खादी और ग्रामोद्योग के माध्यम से देश के ग्रामीण आँचल में रहने वाले नागरिकों को स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढना चाहिए। “खादी, एक विरासत, स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह एक विचारधारा और राष्ट्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक बना हुआ है।

उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री जी के संकल्पित इरादों ने खादी ग्रामोद्योग विभाग में नई जान फूंकने का काम किया, उनके निरंतर प्रयासों एवं खादी सेक्टर के कामगारों के अथक परिश्रम से खादी-ग्रामोद्योग नई ऊँचाइयों को छूने लगा और उसका परिणाम यह हुआ कि गत वित्तीय वर्ष में खादी ग्रामोद्योग की बिक्री का टर्नओवर 1,15,000 करोड़ रूपये के आंकड़े को पार कर गया। भारत सरकार ने खादी-ग्रामोद्योग कार्यक्रम को बढ़ावा देने के दृष्टिगत, विनिर्माण क्षेत्र के अन्तर्गत परियोजना की अधिकतम लागत को भी 25 लाख रूपये से बढ़ाकर 50 लाख रूपये, तथा सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 20 लाख रूपये कर दिया गया है, जिससे कि पीएमईजीपी योजना के तहत उद्यमों को बढ़ावा मिले।

कार्यक्रम के दौरान, मनोज कुमार ने क्षेत्र में चल रही खादी और ग्रामोद्योगी गतिविधियों के प्रोत्साहन के लिए खादी और ग्रामोद्योगी कारीगरों, संस्था प्रतिनिधियों एवं उद्यमियों के साथ परिचर्चा के लिए “खादी संवाद” आयोजित किया, जिसमें प्रमुख खादी संस्थाओं ने भाग लेकर खादी कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए अपने भविष्य की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया।इस अवसर पर केवीआईसी के उच्च अधिकारीगण, खादी फेडरेशन एवं प्रमुख खादी संस्थाओं के पदाधिकारीगण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor