पर्यावरण संतुलन के लिए गौरैया संरक्षण आवश्यक,पेरई स्कूल में गौरैया परी का आयोजन कर वितरित किये घोसले

कौशाम्बी,

पर्यावरण संतुलन के लिए गौरैया संरक्षण आवश्यक,पेरई स्कूल में गौरैया परी का आयोजन कर वितरित किये घोसले,

हर साल 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है,जिसके तहत गौरैया संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। इस वर्ष की थीम है आई लव स्पैरो ,कौशांबी जनपद में गौरैया संरक्षण के लिए पिछले कई सालों से लगातार काम करे शिक्षक हरिओम सिंह इस साल पूरे प्रदेश में लोगों को अपने साथ जोड़कर गौरैया संरक्षण के लिए दाना पानी आशियाना पर काम कर रहे है। इसी क्रम में विकास खंड नेवादा के प्राथमिक विद्यालय पेरई के प्रधानाध्यापक हरीओम सिंह ने विश्व गौरैया दिवस पर गौरैया परी कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि चायल एसडीएम राजेश श्रीवास्तव व विशिष्ट अतिथि बीईओ नेवादा नीरज कुमार ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर छात्र छात्राओं की माताओं को मातृ शक्ति सम्मान के तहत सैकड़ो घोंसले वितरित किये।

पक्षियों के संरक्षण के लिए प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है। आमतौर पर मानवीय आवास में मिलने वाली गौरैया धीरे-धीरे विलुप्त होने लगी है। इनको बचाने के लिए हरिओम सिंह ने पिछले तीन सालों से गौरैया के संरक्षण को पक्षियों के लिए दाना पानी एवं आशियाना मुहिम अभियान चलाया है। कंकरीट की बिल्डिंग बनने के बाद खत्म हुए गौरैया के आशियानों को मुहिम के तहत पुन: स्थापित करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए सोमवार को गौरैया परी कार्यक्रम आयोजित कर मातृ शक्ति सम्मान के तहत छात्र छात्राओं की माताओं को करीब 150 कृत्रिम घोसले बनवाकर कर एसडीएम राजेश श्रीवास्तव एवं बीईओ नीरज कुमार के हाथों वितरित करवाया।

मुख्य अतिथि ने पर्यावरण संतुलन के लिए पक्षियों का होना आवश्यक बताया इसलिए उन्होंने कहा की गौरैया संरक्षण करना आवश्यक है। शिक्षक के द्वारा किए जा रहे इस प्रयास को समाज के लोगों तक पहुंचाते हुए उन्हे जागरूक करने की आवश्यकता है जिससे गौरैया संरक्षण बढ़ सके ।

इस दौरान विशष्ट अतिथि बीईओ नीरज कुमार ने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए गौरैया का संरक्षण बहुत ही जरूरी है। पहले हमारे कच्चे घरों में इनके आशियाने हुआ करते थे। लेकिन अंधाधुंध पेड़ो की कटाई और पक्के आवास निर्माण से पक्षियों के आशियाने खत्म हो गए और अब यह विलुप्त हो रहें हैं। अपने घरों में घोसले को लगाकर दिए गए पात्र में पानी रखने से यह घर में वापस लौटेंगी।खास बात है यह कि गौरैया को बचाने के लिए तीन साल पहले पेरई विद्यालय से शुरू हुए मिशन दाना पानी से अब तक प्रदेश के 63 जनपद के लोग जुड़ चुके हैं।

बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद स्कूल स्टाफ की तरफ से प्रधानाध्यापक हरिओम सिंह ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को भी घर में लगाने के लिए पक्षियों का घोषला उपहार स्वरूप दिया। कार्यक्रम के संचालक हरिओम सिंह ने कहा की इस अभियान को प्रदेश स्तर पर कराने का बीड़ा उठाया है अभी प्रदेश के 63 जनपद के लोग हमारे इस अभियान में जुड़कर अपने अपने जिलों में गौरैया संरक्षण के कार्यक्रम को गति प्रदान कर रहे है जिसे आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश तक कराने का प्रयास चल रहा है। इस मौके पर अध्यापक राम नेवाज सिंह, हिमाद्री पांडेय, प्रतिमा, सोनी आदि लोग उपस्थित रहीं। अर्चना सिंह, अन्नू केसरवानी, हुबलाल वर्मा, ग्राम प्रधान राम प्रकाश साहू सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे ।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor