कौशाम्बी
सोशल आडिट, जनसुनवाई एवं सोशल आडिट जागरूकता सेमिनार का हुआ आयोजन,
मुख्य विकास अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी की अध्यक्षता में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत जनपद स्तरीय सोशल आडिट, जनसुनवाई एवं सोशल आडिट जागरूकता सेमिनार का आयोजन कलेक्ट्रेट स्थित सम्राट उदयन सभागार में किया गया।जिला विकास अधिकारी विजय कुमार ने सोशल आडिट के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि-महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी अधिनियम-2005 में धारा-17 के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा सोशल आडिट की व्यवस्था की गयी है। प्रदेश में सोशल आडिट को भारत सरकार की अपेक्षानुसार संचालित किये जाने हेतु अगस्त-2012 में उत्तर प्रदेश सोशल आडिट संगठन तथा उसके अधीन उत्तर प्रदेश सोशल आडिट निदेशालय की स्थापना एक स्वतंत्र इकाई के रूप में की गयी। सोशल आडिट निदेशालय से विकास खण्डवार, ग्राम पंचायतवार सोशल आडिट का कलेण्डर निर्गत किया जाता है। निदेशालय द्वारा जिन विकास खण्डों का कलेण्डर जारी किया जाता है, उन विकास खण्डों में सोशल आडिट प्रारम्भ होने से पूर्व एन्ट्री कान्फे्रंस की जाती है, जिसमें मुख्यतः जिला विकास अधिकारी द्वारा संबंधित बीडी0ओ0/ए0पी0ओ0 को सोशल आडिट कार्यक्रम में सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है। बीडी0ओ0 द्वारा ग्राम सचिवों की बैठक लेते हुए सोशल आडिट में उपस्थित रहने के साथ समस्त पत्रावलियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाता है। जिलाधिकारी द्वारा सोशल आडिट निदेशालय से जारी कलेण्डर के अनुसार सोशल आडिट हेतु आदेश निर्गत किया जाता है तथा तीसरे दिन सोशल आडिट ग्रामसभा की खुली बैठक हेतु कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। सोशल आडिट ग्रामसभा में जिलाधिकारी द्वारा जनपद स्तरीय अधिकारी को पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित रहने का भी आदेश निर्गत किया जाता है। सोशल आडिट के दौरान ग्राम पंचायत में सोशल आडिट ग्रामसभा का प्रचार-प्रसार, पम्पलेट व हैण्डबिल के माध्यम से सोशल आडिट टीम द्वारा किया जाता है, जिससे बैठक में अधिक से अधिक लोग प्रतिभाग करें। सोशल आडिट हेतु गतवर्ष के कार्यों का व्यय धनराशि की एम0आई0एस0 रिपोर्ट डी0एस0ए0सी0 द्वारा बी0एस0ए0सी0/बी0आर0पी0 को दे दी जाती है। बी0एस0ए0सी0/बी0आर0पी0 द्वारा एम0आई0एस0 रिपोर्ट सोशल आडिट टीम को उपलब्ध करायी जाती है। एक ग्राम पंचातय की सोशल आडिट प्रक्रिया तीन दिन में पूर्ण की जाती है। प्रथम दो दिन-अभिलेखों का एम0आई0एस0 रिपोर्ट से मिलान, श्रमिकों से डोर-टू-डोर संपर्क, गतवर्ष के कार्यो का शत-प्रतिशत सत्यापन, सत्यापन लाभार्थियों एवं ग्रामीणों के सक्रिय सहयोग से टीम का कार्य फैसिलिटेटर का है, पाई गयी कमियों हेतु साक्ष्यों का संकलन तथा तीसरे दिन ग्राम सभा की खुली बैठक की जाती है।
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि सोशल आडिट का मूल उद्देश्य है मनरेगा के अन्तर्गत हुए कार्यों को गांवो के लोगों के बीच जाकर कार्यों को पढ़ा जाय, उसका सत्यापन किया जाय एवं पायी गयी कमियों का निराकरण सुनिश्चित किया जाय। उन्होने कहा कि सोशल आडिट को हल्के में न लिया जाय एवं सोशल आडिट की प्रक्रियाओं का प्रचार-प्रसार किया जाय, जिससे सभी लोगांे को विस्तृत जानकारी हो सके। उन्होंने बी0डी0ओ0 को अपने हस्ताक्षर से सोशल आडिट कलेण्डर जारी कर सचिव ग्राम पंचायत, रोजगार सेवक एवं टी0ए0 को उपलब्ध कराने के निर्देश देते हुए कहा कि रोजगार सेवक सम्पूर्ण अभिलेख प्राप्त कर सोशल आडिट हेतु नियत समय व स्थान पर जाय। उन्हांेने कहा कि सोशल आडिट किसी व्यक्ति विशेष के घर पर न किया जाय, सोशल आडिट का कार्य सार्वजनिक स्थान पर ही किया जाय। उन्होंने रोजगार सेवक को निर्देश दिये कि सोशल आडिट की तिथि से तीन दिन पूर्व गांव के लोगों को सूचित करना सुनिश्चित करें। उन्होेंने कहा कि ब्लाॅक स्तरीय सोशल आडिटर एक सप्ताह के अन्दर कमियों का निराकरण कर ए0टी0आर0 अपलोड करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही पाये जाने पर संबंधित के विरूद्ध कठोरतम कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थी के परिवार (पति-पत्नि या बच्चे) के अलावा किसी और को 90 दिवस की मजदूरी का भुगतान न किया जाय। उन्होंने कहा कि वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी।