मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्यक्षमता वृद्धि व्याख्यानमाला के अन्तर्गत छठवां प्रस्तुतीकरण संपन्न

उत्तर प्रदेश,

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कार्यक्षमता वृद्धि व्याख्यानमाला के अन्तर्गत छठवां प्रस्तुतीकरण संपन्न,

न्यूज ऑफ इंडिया ( एजेन्सी)

यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में छठवीं कार्यक्षमता वृद्धि व्याख्यानमाला आयोजित की गई। व्याख्यानमाला में नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के अध्यक्ष डॉ0 जयन्त देवपुजारी ने ‘आयुर्वेद का साथ-स्वास्थ्य हमारे साथ’ विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया।

अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि भारत ज्ञान परंपरा का अकूत भंडार है। सभी दो दिन पहले उस गौरवशाली क्षण के साक्षी बनें जब हमारे देश का चंद्रयान चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर गया, जहां पहले कभी कोई यान लैंड नहीं हुआ, यह देश के लिये बहुत बड़ा पल था।

उन्होंने बताया कि जब इसरो के चेयरमैन एस0 सोमनाथ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विज्ञान का मूल हमारे वेद हैं। वेदों के ज्ञान से हम आसानी से चंद्रमा पर पहुंच सके। मुख्य सचिव ने कहा कि उसी वैदिक परंपरा का भाग हमारा आयुर्वेद है।

उन्होंने कहा कि अपनी आत्मा, इंद्रीय और अपने मन को प्रसन्न रखने के लिये डॉ0 जयन्त देवपुजारी द्वारा बतायी गई बातों का अनुसरण करना चाहिये। सचिवालय कर्मियों पर महत्वपूर्ण योजनाओं एवं कार्यक्रमों के नीति निर्धारण का दायित्व होता है। ऐसे में कार्यक्षमता को बढ़ाने और कार्य को आनंदभाव निष्पादित करने, भोजन, दिनचर्या आदि के बारे में आयुर्वेद में बहुत सारी बातें बताई गई हैं, उन्हें अंगीकृत करना चाहिये। हजारों साल पहले का जो ज्ञान है, उसमें आज भी परिवर्तन नहीं हुआ है। इन सारी चीजों को अपना लें तो निश्चित रूप से हमारी क्षमता बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि हमारी वैदिक परंपरा समय के साथ कम होती जा रही है। हमारे गांव में एक वैद्यशाला हुआ करती थी, कोई भी बीमारी होता था, तो वहां वैद्य जी कुछ पुड़िया बनाकर देते थे और बीमारी ठीक हो जाती था, उनके प्रति हमारे मन में श्रद्धाभाव रहता था, धीरे-धीरे वैद्यशाला खत्म होती गईं, लेकिन एक बार दोबारा पिछले 10 साल में आयुष का जिस प्रकार विकास हुआ है, इंडियन सिस्टम्स ऑफ मेडिसिन का विकास हुआ है, उसकी ताकत कोरोना के दौर में देखी गईं, किस प्रकार कुछ चीजें, विचार, व्यवहार, भोजन से हमारे देश के लिए कवच बन गई थीं। ये हमारे ज्ञान का भाग है।

अपने संबोधन में डा० जयन्त देव पुजारी ने कहा कि आयुर्वेद विषयों के ज्ञानार्जन के लिए नवीन तथ्यों का अन्वेषण हमेशा करना चाहिए। व्यक्ति को जीवन में चिंताए और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसका उसकी जीवनशैली पर प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए। हम लोगों को सुबह उठकर अपने शरीर से बात करना चाहिए।

इस बीच लोगों ने डाक्टर जयन्त देव पुजारी से आयुर्वेद से संबंधित कई प्रश्न पूछे, जिनका उन्होंने उत्तर दिया।
उल्लेखनीय है कि डॉ. जयन्त देवपुजारी को आयुर्वेद में पीएच० डी० थीसिस एवं फेलोशिप थीसिस में गोल्ड मेडिलिस्ट से सम्मानित किया गया है। लगभग 35 वर्षों से चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करने वाले डॉ0 जयन्त देवपुजारी आयुर्वेदिक मसाज थेरेपी, पिझिचिल, गैस्ट्राइटिस ट्रीटमेन्ट, सिरोवस्थी, आर्थराइटिस मैनेजमेन्ट, केरल मसाज थेरेपी के विशेषज्ञ है।

डॉ० जयन्त देवपुजारी जी आयुर्वेद महाविद्यालय, नागपुर के छात्र रहे हैं, जहाँ से उन्होंने सन् 1984 में बीएएमएस की उपाधि प्राप्त की तत्पश्चात् उनके द्वारा पुणे विश्वविद्यालय से काया चिकित्सा पर सन् 2000 में पीएच० डी० की उपाधि प्राप्त की गयी है। विगत कई वर्षों से डॉ० जयन्त देवपुजारी जी कई मेडिकल संस्थानों के साथ मिलकर आयुर्वेद की दिशा में कार्य कर रहे हैं. एवं वर्तमान में डॉ० जयन्त देवपुजारी जी नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन और आयुर्वेद व्यासपीठ के सदस्य हैं।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन जितेन्द्र कुमार, प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन शर्मा, प्रमुख स्टाफ ऑफिसर मुख्य सचिव अमृता सोनी, प्रमुख सचिव आयुष लीना जौहरी, प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन के0रवीन्द्र नायक सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीगण, सचिवालय कर्मी व मीडिया प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor