नंदी वाणी पब्लिक स्कूल मे आयोजित हुआ ‘संस्कार एक धरोहर’ कार्यक्रम

कौशाम्बी,

नंदी वाणी पब्लिक स्कूल मे आयोजित हुआ ‘संस्कार एक धरोहर’ कार्यक्रम,

संस्कार वह शब्द है जो किसी को भी औरों से अलग करता है। जहाँ संस्कारवान बच्चे अपनी दिशा और मंजिल खुद निश्चित करते हैं और देश व समाज के लिए उपयोगी बनते है वहीं संस्कारहीन बच्चे समाज के लिए अभिशाप साबित होते हैं।हम समाज को एक नई दिशा दिखाने वाले कबीर, नानक, शिवाजी, ज्योतिबा फूले, महात्मा गाँधी आदि को सदैव स्मरण करते है, उनके जीवन का अध्ययन करने पर पाते हैं कि उनके परिवार के बुजुर्गों ने उन्हे संस्कारवान बना कर महत्वपूर्ण बनाया।

विद्यालय बच्चों के लिए एक कार्यशाला हैं जहाँ उन्हे तमाम विषयों का जानकार बनाकर उन्हें सफलता की ऊंचाइयाँ छूने के योग्य बनाया जाता है वहीं बच्चों के चरित्र मे संस्कार व अनुशासन को पिरोकर सभ्य नागरिक बनाने की दूसरी जिम्मेदारी भी विद्यालय के ऊपर ही होती है। बच्चों को संस्कारित करने की प्रथम जिम्मेदारी का निर्वाह उनके बुजुर्गों व अभिभावकों के कंधों पर होती है। अपने नौनिहालों को कैसे संस्कारों मे ढालना है और बच्चों को किन संस्कारों का पालन करते हुये अपने माता-पिता और परिवार का नाम रोशन करना है।

इसी पर आधारित ‘संस्कार एक धरोहर’ शीर्षक नाम से कार्यक्रम नंदी वाणी पब्लिक स्कूल में प्रत्येक वर्ष किया जाता है। मंगलवार को इस कार्यक्रम का शुभारंभ स्कूल की प्रबंधिका ज्योति केसरवानी द्वारा दीप प्रज्वलित कर तथा माता सरस्वती के चरणों में पुष्प अर्जित कर किया गया। कार्यक्रम मे स्कूल मे पढ़ने वाले बच्चों के दादा-दादी, नाना-नानी को विशेष आग्रह करके विद्यालय मे बुलाया गया था। बच्चों ने अपने बुजुर्गों के सम्मान मे शिक्षापरक व सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके सभी का मन जीत लिया और दो नाटिकाओं के माध्यम से बच्चों ने परिवार में बुजुर्गों का महत्व बताया और यह निवेदन किया की प्रत्येक घर में बुजुर्गों के सम्मान तथा उनके आशीष वचन की अत्यंत आवश्यकता होती है।

प्रधानाध्यापक डॉ ललित चौरसिया ने बताया कि जिस घर में बुजुर्ग मौजूद हो और उनका सम्मान होता रहे उस घर में संस्कारों की कमी कभी नहीं हो सकती वहाँ के बच्चे शिक्षित तथा सभ्य होंगे क्योंकि परिवार ही घर की प्रथम पाठशाला होती है।

प्रबंधिका ज्योति ने अपने संबोधन मे कहा कि बच्चों को संस्कारवान बनाना चाहिए लेकिन कैसे संस्कारों मे उन्हे ढालना है यह उनके परिवार व बुजुर्गों के ऊपर निर्भर है, बुजुर्गों को भी इस दायित्व का शत प्रतिशत निर्वाह करना चाहिए। तभी ऐसे भविष्य का निर्माण किया जा सकता है जिसमे एक दूसरे के लिए प्रेम, सद्भाव, सहयोग की भावना जागृत हो।

जिले में यह एक ऐसा विद्यालय है जहाँ पढ़ाई के साथ-साथ संस्कारों पर जोर दिया जाता रहा है यहाँ बच्चों में शिक्षा की गुणवत्ता तथा अनुशासन पर विशेष ध्यान रहता है।इस मौके पर विद्यालय के शिक्षक पुष्पा, दीक्षा, सचिन, पारुल तथा अन्य ने मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया। विद्यालय के स्टूडेंट काउंसिल के बच्चो ने, सभी बुजुर्गों से एक अच्छे बच्चे और अच्छे नागरिक बनने के लिए उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor