उत्तर प्रदेश,
वन मंत्री द्वारा ‘‘उत्तर प्रदेश में कृषि वानिकी में अवसर व चुनौतियाँ’’ विषयवस्तु परआधारित कार्यशाला किया शुभारम्भ,
न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 अरूण कुमार सक्सेना ने होटल हिल्टन में वन्य एवं वन्यजीव विभाग तथा जी0आई0जेड0 द्वारा आयोजित ‘‘उत्तर प्रदेश में कृषि वानिकी में अवसर व चुनौतियाँ’’ विषयवस्तु पर आधारित कार्यशाला का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि के प्रतिकूल प्रभावों को रोकने व मानव जाति को विभिन्न रोगों से बचाने हेतु कार्बन का उत्सर्जन कम करने एवं वातावरण से कार्बन की मात्रा कम करने के लिए अधिक से अधिक वृक्ष रोपित करना आवश्यक है। राष्ट्रीय वन नीति, 1988 व राज्य वन नीति, 2017 का लक्ष्य प्राप्त करने, वर्ष 2027 तक वनावरण व वृक्षारोपण व वृक्षावरण में वृद्धि कर भौगोलिक क्षेत्र का 15 प्रतिशत करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने एवं कृषकों का आर्थिक स्तर उन्नत करने हेतु खेती के साथ अधिक से अधिक पौधे रोपित करने हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ सृजित किये जाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा की कृषकों को तीव्र गति से बढ़ने वाली व शीघ्र तैयार होने वाली प्रजातियों के उच्च गुणवत्ता के पौधे व बीज उपलब्ध करवाकर तथा वनाधारित उद्योगों को जोड़कर कृषि वानिकी को प्रोत्साहित कर हरित आवरण में वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा श्रमिकों व ग्रामीणों का पौधे रोपित करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में वन एवं वन्यजीव विभाग तथा पंचायती राज विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। डॉ0 सक्सेना ने कहा कि कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करने व कृषकों के समक्ष आने वाली कठिनाईयों को दूर करने हेतु व्यक्तिगत भूमि पर अवस्थित 29 वृक्ष प्रजातियों के अतिरिक्त समस्त वृक्ष प्रजातियों के पातन को अधिनियम के प्राविधानों से छूट प्रदान कर दी गयी है।
तकनीकी सत्र में हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स/प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, सुधीर कुमार शर्मा ने ‘‘उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्र के बाहर वृक्षावरण व कृषि वानिकी की स्थिति हरित आवरण विस्तार हेतु विभिन्न संस्थाओं से किये गये एम0ओ0यू0 पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री शर्मा ने कहा कि वर्ष 2027 तक प्रदेश के 15 प्रतिशत क्षेत्र को हरा-भरा करने हेतु विभिन्न विभागों के साथ समन्वय एवं व्यापक जन सहभागिता से वर्ष 2017 से 2023 तक प्रदेश में रोपित किये गये 168 करोड़ से अधिक पौधों में से लगभग 105 करोड़ पौधे वन भूमि के बाहर रोपित किये गये हैं। उन्होंने कृषि वानिकी से सम्बन्धित विधिक प्राविधानों का सरलीकरण, प्रदेश में प्रचलित कृषि वानिकी पद्धतियॉं, खेती के साथ रोपित वृक्षों की विशेषताएं, कृषि वानिकी के लाभ एवं प्रदेश में विभिन्न कृषि पद्धतियों में रोपित किये जाने वाली प्रजातियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
वन एवं वन्यजीव विभाग एवं जी.आई.जेड. के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘‘उत्तर प्रदेश में कृषि वानिकी में अवसर व चुनौतियॉं’’ कार्यशाला में वन एवं वन्यजीव विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, जोनल/मण्डलीय मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक, प्रभागीय वनाधिकारी, कृषि वानिकी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषक, कृषि वानिकी से जुड़े शोध संस्थानों, कृषि वानिकी विशेषज्ञों तथा जी.आई.जेड. के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव, अंजनी कुमार आचार्य, प्रबन्ध निदेशक उत्तर प्रदेश वन निगम, अनुपम गुप्ता एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अनुसंधान एवं प्रषिक्षण, संजय श्रीवास्तव उपस्थित थे।