कौशाम्बी,
फसल अवशेष प्रबन्धन से हो सकता है अगली पीढ़ी का जीवन खुशहाल- कल्पना सोनकर,
यूपी के कौशाम्बी में प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेण्ट क्राप रेज्ड्यू योजना के अन्तर्गत पराली प्रबन्धन विशयक जनपद स्तर पर जागरूकता अभियान का जिला पंचायत अध्यक्षा कल्पना सोनकार ने गोष्ठी एवं प्रदर्शनी का फीता काटकर एवं दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया।
उदयन सभागार में जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर ने अपने उदबोधन में कहा कि यह कार्यक्रम हमारी आने वाली अगली पीढ़ी की खुशहाल जीवन सुनिश्चित कर सकती है उन्होंने कृषक जनों का आहवान किया कि वैज्ञानिकों के बतायें हुए फसल अवशेष प्रबन्धन को अपनायें और ये संकल्प ले की धान की फसल कटाई के उपरान्त बचें हुए अवशेष को नहीं जलायेंगे।
उन्होंने कृषक भाइयों से पराली न जलाने की अपील की व पराली प्रबन्धन अपनाये जाने हेतु जानकारी दी। पराली न जलाये जाने व पराली प्रबन्धन के बारे में विस्तार से डा0 अजय कुमार, कृषि वैज्ञानिक एवं समन्वयक कृषि विज्ञान केन्द्र, कौशाम्बी द्वारा जानकारी प्रदान की गयी। डा0 अजय कुमार द्वारा अवगत कराया गया कि खरीफ की फसलों में मुख्य रूप से धान की फसलों की कटाई करने के बाद किसानों द्वारा आलू एवं गेहूॅ की बुवाई की तैयारी की जल्दबाजी में खेतों में पड़े पुवाल में आग लगा देते हैं जिसके कारण शीतकाल प्रारम्भ होने से वातावरण में नमीं रहने के कारण पराली के धुॅए में विद्यमान मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसों से कोलाइन बन जाता है। ऐसा कोलाइन जब हवा में मिल जाता है तो हमारे श्वॉस लेने पर हमारे फेफड़े की समस्या जैसे-टी0वी, अस्थमा, श्वॉस रोग एवं कैन्सर जैसी बीमारियॉ पैदा होने लगती है।
इसके अलावा खेतों में लाभकारी जीव व कीट जैसे-गुबरैला, तितली, मकड़ी, केचुवा जलकर मर जाते हैं। कृषि भूमि की जैव कार्बन या हरी खाद के अवयव जल जाते हैं जिससे ह्यूमस कम होने के कारण मिट्टी की उर्वरा भी बुरी तरह प्रभावित होने से उत्पादन और उपज कम हो जाता है। जनपद में विगत वर्ष में कुल 92 घटनाएॅ रिमोट सेन्सिंग से प्राप्त हुयीं है जिनमें से सबसे ज्यादा तहसील मंझनपुर व तहसील सिराथू में घटनाएॅ पायी गयीं तथा सबसे कम तहसील चायल में पराली जलाने की घटना चिन्हित हुयी थी।
सतेन्द्र कुमार तिवारी, उप कृषि निदेशक द्वारा कृषकों को बताया गया कि हरित न्यायाधिकरण, नई दिल्ली एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा कृषि अपशिष्ट अथवा पुवाल जलाया जाना प्रतिबन्धित किये जाने हेतु आर्थिक दण्ड के प्राविधान बनाये जाने के आदेश दिये गये हैं। जिसके क्रम में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जनपद में पराली जलने की घटनाओं को रोकने एवं आर्थिक दण्ड की व्यवस्था की गयी है। जनपद में पराली जलाने की घटनाओं के निरीक्षण करने हेतु जनपद के समस्त ग्राम पंचायतों में लेखपाल एवं कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है इसके अतिरिक्त जिले भर में कई अधिकारियों को नोडल नामित किया गया है।
क्षेत्रीय कर्मचारियों एवं लेखपालों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं की जानकारी अपनी उच्चाधिकारियों तहसीलदार या नायब तहसीलदार तथा उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारियों को लिखित में दिये जाने पर सम्बन्धित दोषी कृषको पर आर्थिक जुर्माना लगाया जायेगा। जिन कृषकों द्वारा पराली जलाते हुये पहली बार पकड़ा जायेगा उसके कृषि भूमि के क्षेत्रफल के आधार पर जुर्माना लगाये जाने की कार्यवाही की जायेगी। यदि 02 एकड़ की भूमि का क्षेत्रफल होने पर 1500/रूपये का जुर्माना, 02 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़ से कम होने पर 5000/-रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा। 05 एकड़ से अधिक भूमि का क्षेत्रफल होने पर दोष्ी को 15000/- रूपये का जुर्माना लगाये जाने की कार्यवाही की जायेगी।इसके अतिरिक्त जनपद के समस्त ग्राम प्रधानों की भी जिम्मेदारी होगी कि उनके ग्राम पंचायतों में पराली न जलाये जाये यदि कोई पराली जलाता है तो उसकी सूचना अपने लेखपाल या तहसीलदार को अथवा कृषि विभाग में लिखित रूप से दे सकते हैं।
सतेन्द्र कुमार तिवारी, उप कृषि निदेशक द्वारा कृषकों से अनुरोध किया गया कि पराली न जलायें पराली को खेतों में ही सड़ाकर मिट्टी में मिलायें और मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर उत्पादन बढ़ायें। सैटेलाइट रिमोट सेन्सिंग मॉनीटरिंग द्वारा जिन कृषकों द्वारा दिन अथवा रात किसी भी समय पराली जलाने पर उसे ट्रेस करके अक्षॉश एवं देशान्तर के आधार पर स्थल व ग्राम की जानकारी उपलब्ध करा देता है जिस पर तहसील स्तर पर जुर्माना लगाये जाने की कार्यवाही की जायेगी। जनपद में बेलर मशीनें आयी है, जिससे कम्बाइन हार्वेस्टर के फसल की कटाई के समय रोल बनाकर खेत को साफ करा सकते हैं जिससे फसल अवशेष जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
जिन कम्बाइन हार्वेस्टर मशीनों द्वारा बिना फसल अवशेष प्रबन्धन वाले कृषि यन्त्रों जैसे-सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम (एस0एम0एस0) अथवा स्ट्रारेक या बेलर अथवा स्ट्रारीपर के धान की कटाई करते हुये पकड़ी जायेगी उसे तत्काल सीज किये जाने का आदेश जारी किया गया है और उन मशीनों को तब तक नही छोड़ा जायेगा जब तक कि उपरोक्त यन्त्र मशीन मालिक द्वारा न लगवा लिया जाये। अतः कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों से अनुरोध है कि बिना पूरक यन्त्रों के कम्बाइन हार्वेस्टर से फसलों की कटाई न करें।
इस अवसर पर एडीएम प्रबुद्ध सिंह, उप कृषि निदेशक सतेन्द्र कुमार, जिला कृषि अधिकारी डॉ संतराम, जिला संयोजक श्रम प्रकोष्ठ अगंद कुशवाहा अन्य सम्बन्धित अधिकारी व कृषक उपस्थित रहे।