कृष्ण-सुदामा मित्रता देती है संदेश, ऊॅच-नीच से दूर है मित्रों के परिवेश,भागवत कथा का प्रसंग सुन भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

कौशाम्बी,

कृष्ण-सुदामा मित्रता देती है संदेश, ऊॅच-नीच से दूर है मित्रों के परिवेश,भागवत कथा का प्रसंग सुन भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

यूपी के कौशाम्बी जिला मुख्यालय में चौधरी बैजनाथ नगर में एक निजी गेस्ट हाउस में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक पं0 अखिलेश जी महाराज ने शनिवार को रूखमणि विवाह, कृष्णा रास, कसंवध, सुदामा चरित्र का प्रंसग सुनाया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना।
शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए।

 

ज्ञानचन्द्र गुप्ता भुर्जी ने लावा परछन करते हुए पत्नी व अन्य श्रदालुओं ने पैरपूजी किया। कथा के मुख्य यजमान विट्टन देवी एवं शारदा प्रसाद गुप्ता भुर्जी ने आरती पूजन किया। पं0 अखिलेश जी महाराज ने रास प्रसंग में कहा कि बांसुरी की सुरीली तान सुनकर गोपियां अपनी सुध खो बैठीं। कृष्ण ने उनके मन मोह लिए। उनके मन में काम का भाव जागा लेकिन यह काम कोई वासना नहीं थी। यह तो गोपियों के मन में भगवान को पाने की इच्छा थी।

आमतौर पर काम, क्रोध, मद, मोह और भय अच्छे भाव नहीं माने जाते हैं लेकिन जिसका मन भगवान ने चुरा लिया हो तो ये भाव उसके लिए कल्याणकारी हो जाते हैं। महराज जी ने आगे बढते हुए कंस वध प्रंसग का वर्णन किए जाने पर पंडाल में उपस्थित श्रोता भाव-विभोर हो गए।

कथाव्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं। जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। यह सुनकर भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। तभी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है जो आपका मित्र बता रहा है।

द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र को रोककर सुदामा को रोककर गले लगा लिया। उन्होने बताया कि श्री मद्भागवत कथा का आज से समापन हो गया है, रविवार को पूर्णाहुति होगा। मौके पर ज्ञानचन्द्र गुप्ता भुर्जी, रोहित गुप्ता, मथुरा प्रसाद अग्रहरि, राजेन्द्र मुन्ना, शशिभान गुप्ता, नीरज शुक्ला, दुर्गा, सुनीता, पवन जायसवाल जितेन्द्र गुप्ता, अशोक गुप्ता, शिव रतन गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें।

Ashok Kesarwani- Editor
Author: Ashok Kesarwani- Editor