कौशाम्बी,
09 जनवरी से शुरू होगा खसरा,रुबेला अभियान,आशा,एएनएम का प्रशिक्षण पूरा, ई-कवच पोर्टल पर अपलोड होगा आंकड़ा,
खसरा और रूबेला (एमआर) पर अगले वर्ष तक पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए कौशाम्बी जनपद में नौ जनवरी से विशेष टीकाकरण अभियान शुरू होगा। इसकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुष्पेंद्र ने दी|
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ हिन्द प्रकाश मणि ने बताया कि सर्वेक्षण के लिए आशा-एएनएम को प्रशिक्षित किया जा चुका है। ब्लॉक स्तर पर भी टास्क फोर्स बनाकर कार्य योजना की तैयारियों पर ब्लॉक स्तरीय व जनपद स्तरीय कार्य समीक्षा बैठक हो रही है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ हिन्द प्रकाश मणि ने जनसमुदाय से अपील की है कि अपने बच्चों का नियमित टीकाकरण जरूर कराएं। बच्चों का नियमित टीकाकरण पूरा हो जाने से उनके संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने की संभावना कम हो जाती है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विशेष टीकाकरण अभियान और इंद्रधनुष अभियान चलाकर नियमित टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों को टीका लगाया गया था। दोबारा से इस विशेष पखवाड़ा के माध्यम से शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म से पांच साल तक के ऐसे बच्चों का सर्वे कराकर सूची तैयार की जा रही है। जिन बच्चों को खसरे का टीका नहीं लग पाया है। 19 से 24 दिसंबर तक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), एएनएम और ब्लॉक स्तरीय पर्यवेक्षक सर्वे का वैलीडेशन करेंगे।
पूरा डेटा ई-कवच पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। नौ जनवरी को अभियान की शुरुआत की जाएगी व जनवरी के पहले सप्ताह में ब्लॉक व जनपद स्तर पर टास्क फोर्स एवं अंतर विभागीय बैठक की जाएगी।
उन्होंने बताया कि “पखवाड़ा तीन चरणों में चलेगा इस दौरान नियमित सत्र को प्रभावित नहीं किया जाएगा। पखवाड़ा का पहला चरण नौ जनवरी से 20 जनवरी तक चलेगा। इसके बाद 13 फरवरी से 24 फरवरी तक दूसरा और 13 मार्च से 24 मार्च तक तीसरा चरण चलेगा। ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को इस बारे में प्रशिक्षित किया जा चुका है। अभियान को सफल बनाने के लिए टीके की डोज़ जल्द ही सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में भेज दी जाएगी।“
उन्होने बताया कि “ऐसे घर के बच्चे जो अन्य जनपद में परिजन के साथ रह रहे हैं उनके परिजनों को भी बच्चे का टीकाकरण करवाने के लिए कहा जाएगा। आशा कार्यकर्ता जिन घरों में सर्वे करने के लिए जाएंगी, वहां उन्हें घर, संख्या और सर्वे की तिथि अंकित करनी होगी। अभियान की समाप्ती के बाद माँपप राउंड चलाकर छूटे हुए बच्चों की रिपोर्ट एएनएम के माध्यम से नोडल अधिकारी को दी जाएगी। साथ ही शहर में दूरदराज के जो भी ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोग नियमित टीकाकरण कराने के लिए नहीं जाते उनके लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
इसके लक्षण आमतौर पर दूसरे सप्ताह के भीतर आने शुरू हो जाते हैं। इससे पीड़ित बच्चे के सीधे संपर्क में आने से भी खसरे का संक्रमण हो सकता है। बच्चों में इसके शुरुआती लक्षण हैं बुखार का आना, सर्दी-जुकाम के साथ शरीर पर दाने या चकत्ते पड़ते हैं। अगर समय पर उपचार नहीं कराया गया तो दिमागी बुखार का भी खतरा हो सकता है, जो जानलेवा है।